राज्य सरकार ने आदेश जारी कर ₹500 करोड़ से बड़े प्रोजेक्ट की मंजूरी पर रोक लगाई। अब मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली इंफ्रास्ट्रक्चर समिति से ही स्वीकृति लेनी होगी।
मुंबई, 12 जुलाई: महाराष्ट्र सरकार ने ₹500 करोड़ से अधिक लागत वाले सभी प्रोजेक्ट्स को अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता वाली इन्फ्रास्ट्रक्चर कैबिनेट कमेटी से स्वीकृति लेना अनिवार्य कर दिया है। यह आदेश वित्त व नियोजन विभाग द्वारा उपमुख्यमंत्री अजित पवार के निर्देश पर जारी किया गया है। इसका असर सीधे तौर पर MMRDA, CIDCO, MHADA, SRA और MahaHousing जैसी एजेंसियों पर पड़ेगा जो अब स्वतंत्र रूप से ऐसे प्रोजेक्ट्स को मंजूरी नहीं दे सकेंगी।
यह फैसला मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित छह सदस्यीय समिति के माध्यम से लिया जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, एकनाथ शिंदे, चंद्रशेखर बावनकुळे, हसन मुश्रीफ और उदय सामंत शामिल हैं। समिति की सचिव की भूमिका अब प्लानिंग सचिव की बजाय मुख्य सचिव निभाएंगे, जिससे फैसलों पर और अधिक वित्तीय व कानूनी नजर रखी जा सकेगी। सरकार ने यह कदम राज्य की कमजोर वित्तीय स्थिति को देखते हुए उठाया है, जहां कुल कर्ज ₹9.5 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है।
यह आदेश एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि शहरी विकास और आवास विभाग उनके पास हैं। पहले से ही कई विवादों में घिरे शिंदे गुट के लिए यह नई चुनौती बनकर सामने आई है। हाल ही में उनके मंत्रियों पर तंत्र-मंत्र, शराब परमिट घोटाले और सामाजिक न्याय विभाग में अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। शिंदे की हालिया दिल्ली यात्रा भी इन्हीं विवादों और सुप्रीम कोर्ट में 14 जुलाई को होने वाली सुनवाई के मद्देनज़र मानी जा रही है।
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