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Maharashtra: हिंदी भाषा विवाद में RSS की एंट्री: मनसे ने मोहन भागवत को भेजा पत्र

मनसे ने मोहन भागवत को पत्र लिखकर हिंदी भाषा थोपने पर जताई आपत्ति। कहा, इससे हिंदू समाज में दरार पैदा हो सकती है, संघ को लेना चाहिए ठोस निर्णय।

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में स्कूलों में कक्षा 1 से 5 वीं तक हिंदी भाषा अनिवार्य किए जाने पर हंगामा मच गया है। महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले से का महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और शिवसेना यूबीटी ने जमकर विरोध किया है।

मुंबई: महाराष्ट्र में सीबीएसई बोर्ड पैटर्न लागू किया जा रहा है। तदनुसार, हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बना दिया गया है। इसलिए अब मराठी और अंग्रेजी माध्यमों के लिए मराठी और अंग्रेजी के साथ हिंदी की पढ़ाई भी अनिवार्य कर दी गई है। लेकिन राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और कांग्रेस पार्टी सहित कई लोग राज्य सरकार के निर्णय का विरोध कर रहे हैं।

अब इस संबंध में मनसे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। मनसे के मुंबई अध्यक्ष संदीप देशपांडे ने पत्र में लिखा है कि हिंदी की अनिवार्यता के आदेश के कारण हिंदुओं में फूट पड़ सकती है।

हिंदी अनिवार्यता पर विरोध
संदीप देशपांडे ने राज्य के स्कूलों में पहली से पांचवी तक की प्राथमिक कक्षाओं में हिंदी की पढ़ाई अनिवार्य किए जाने पर कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए RSS (संघ) प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखा। पत्र में देशपांडे ने लिखा है कि हम नहीं चाहते कि हिंदी को जबरन थोपा जाए। मराठों ने भारत पर लगभग 200 वर्षों तक शासन किया। लेकिन मराठों ने कभी भी उन क्षेत्रों में मराठी भाषा नहीं थोपी। उस दौरान में गूगल नहीं था फिर भी मराठों के मन में मराठी को संपर्क भाषा बनाने का खयाल नहीं आया। इसके विपरीत शिंदे ग्वालियर चले गए और सिंधिया बन गए।

संदीप देशपांडे ने की अपील
अपने पत्र में देशपांडे ने मोहन भागवत से अपील की है कि वे हिंदी भाषा को लेकर हिंदुओं को न बांटे। उन्होंने लिखा है कि सरकार हिंदी भाषा को जबरन थोपकर हिंदू समुदाय को बांटने का काम कर रही है। इससे हिंदू समुदाय के एकजुट होने की बजाय बिखरने की अधिक आशंका है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक वैचारिक आधार है और यह संगठन विचारों के आधार पर खड़ा है, ऐसा विश्वास व्यक्त करते हुए उन्होंने हिंदू धर्म को विभाजित करने के कृत्य पर रोक लगाने की अपील भागवत से की है।

मुख्यमंत्री फडणवीस को भी लिखा पत्र
प्राथमिक स्कूलों में हिंदी की अनिवार्यता के विरोध में एक पत्र मुख्यमंत्री फडणवीस को भी लिखा गया है। भाषा सलाहकार समिति के अध्यक्ष द्वारा लिखे गए पत्र में हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने के फैसले को रद्द करने की मांग की गई है।

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