ठाणे के एक निजी स्कूल में माहवारी की जांच के नाम पर कक्षा 5वीं से 10वीं तक की छात्राओं को कपड़े उतरवाने पर मजबूर किया गया। प्रिंसिपल और अटेंडेंट को गिरफ्तार किया गया है, जबकि अन्य शिक्षकों पर भी केस दर्ज हुआ।
ठाणे,10 जुलाई: ठाणे के एक स्कूल में मासूम बच्चियों के साथ अपमानजनक व्यवहार की गंभीर घटना सामने आई है। स्कूल टॉयलेट में खून के धब्बे मिलने के बाद कक्षा 5वीं से 10वीं तक की लगभग 10 छात्राओं को लाइन में खड़ा किया गया। स्टाफ ने उनसे पूछा कि कौन पीरियड्स में है, और जिन छात्राओं ने जवाब नहीं दिया, उन्हें वॉशरूम ले जाकर जबरन कपड़े उतरवाकर जांच की गई। इस दौरान एक छात्रा से जबरदस्ती अंगूठे का निशान भी लिया गया, जिससे बच्चियाँ डरी-सहमी हालत में घर लौटीं।
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छात्राओं से मिली जानकारी के बाद उनके माता-पिता ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ सख्त विरोध जताया और बुधवार को स्कूल के बाहर प्रदर्शन किया। इस शिकायत के आधार पर ठाणे ग्रामीण पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए स्कूल की प्रिंसिपल और एक अटेंडेंट को गिरफ्तार किया है। साथ ही चार शिक्षक और दो ट्रस्टियों के खिलाफ पोक्सो (POCSO) एक्ट और भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।
यह घटना न सिर्फ छात्राओं की निजता और गरिमा के खिलाफ है, बल्कि हमारे शिक्षा तंत्र की मानसिकता पर भी सवाल उठाती है। माहवारी जैसे संवेदनशील विषय को समझने और स्वीकारने की जगह उसे अपराध की तरह देखा गया। समाज और स्कूल दोनों को ज़रूरत है कि बच्चों के अधिकार, संवेदनशीलता और मानसिक स्वास्थ्य को सर्वोपरि मानें। इस मामले ने एक बार फिर हमें याद दिलाया है कि बच्चों की सुरक्षा सिर्फ कानूनी नहीं, नैतिक ज़िम्मेदारी भी है।
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