मुंबई उपनगरों में ठप पड़े पुनर्विकास प्रोजेक्ट्स से त्रस्त हजारों किराएदारों को जल्द राहत मिल सकती है। राज्य सरकार दिसंबर 2025 में विशेष कानून लाकर बिना किराया और निर्माण के लंबित प्रोजेक्ट्स पर सख्त कार्रवाई करेगी।
📍 स्थान: मुंबई
मुंबई: राज्य सरकार ने मुंबई के उपनगरों में वर्षों से ठप पड़े पुनर्विकास प्रोजेक्ट्स में फंसे हजारों किराएदारों को राहत देने की तैयारी शुरू कर दी है। दिसंबर 2025 में प्रस्तावित एक विशेष कानून के तहत, उन मकान मालिकों और बिल्डरों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी जो न तो किराया दे रहे हैं और न ही निर्माण कार्य शुरू कर रहे हैं।
इस प्रस्ताव की घोषणा उद्योग मंत्री उदय सामंत ने महाराष्ट्र विधानसभा में की। उन्होंने कहा कि यह कानून शीतकालीन सत्र (नागपुर) में पेश किया जाएगा और इसका उद्देश्य stalled redevelopment projects को नियंत्रित करना है।
🗣️ विधायकों ने उठाई आवाज़
भाजपा विधायक योगेश सागर और मिहिर कोटेचा ने इस गंभीर मुद्दे को सदन में उठाते हुए कहा कि हजारों परिवार अपने पुराने घर तोड़ने के बाद नये मकानों के इंतजार में हैं और किराया भी नहीं मिल रहा है। सागर ने MHADA मॉडल का हवाला देते हुए बताया कि दक्षिण मुंबई में जब कोई प्रोजेक्ट फंसता है तो MHADA उसे टेकओवर करके निर्माण पूरा करती है, लेकिन उपनगरों के लिए ऐसा कोई मैकेनिज्म नहीं है।
📌 मंत्री का आश्वासन
मंत्री उदय सामंत ने भरोसा दिलाया कि उपनगरों में भी इस तरह के फंसे प्रोजेक्ट्स पर सरकार सख्ती से कार्रवाई करेगी और नया कानून लाकर किराएदारों को न्याय देगी। कोटेचा ने सुझाव दिया कि इन किराएदारों को SRA योजना की तर्ज पर कम से कम 300 वर्ग फुट का फ्लैट मिलना चाहिए।
🧾 इस कानून से मिलने वाले संभावित लाभ:
-
ठप प्रोजेक्ट्स पर समयबद्ध कार्रवाई
-
किराएदारों को न्यूनतम आवास अधिकार
-
बिल्डरों पर कानूनी दबाव
-
उपनगरों में MHADA जैसी कार्यप्रणाली लागू होने की संभावना
-
हज़ारों किराएदारों को पुनर्विकास में न्याय