मुंबई: मुंबई की सत्र अदालत ने मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में औरंगजेब (Abu Azmi Aurangzeb remark Case) को लेकर दिए गए कथित विवादास्पद बयान के मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के महाराष्ट्र प्रमुख अबू आज़मी को अग्रिम जमानत दे दी। अदालत ने उन्हें 20,000 रुपये के सॉल्वेंट जमानत बांड पर राहत प्रदान की है। साथ ही, अदालत ने उन्हें 12, 13 और 15 मार्च को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है। अदालत ने उन्हें साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ न करने की भी हिदायत दी है।
अबू आज़मी पर दर्ज हुआ मामला
कुछ दिन पहले महाराष्ट्र विधानसभा परिसर में अबू आज़मी ने औरंगजेब को लेकर एक बयान दिया था, जिसे लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। इस बयान के बाद मुंबई पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 299, 302, 356 (1) और 356 (2) के तहत मामला दर्ज किया था।
मीडिया पर लगाया बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप
इस विवाद के बाद, अबू आज़मी ने मीडिया पर उनके बयान को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया। उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को पत्र लिखकर अपना निलंबन रद्द करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि मीडिया ने उनके बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत करके उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की है।
क्या कहा अबू आज़मी ने?
अबू आज़मी ने कहा कि मीडिया के प्रतिनिधियों ने उनसे असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आलोचना के दौरान औरंगजेब का जिक्र करने पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने मीना भार्गव के लेख का हवाला देते हुए कहा कि औरंगजेब ने मंदिरों की सहायता की थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने छत्रपति संभाजी महाराज को लेकर कोई बयान नहीं दिया और उनके प्रति पूरा सम्मान प्रकट किया।
“मैं जाति और धर्म के भेदभाव में विश्वास नहीं रखता”
अबू आज़मी ने कहा कि उनके बयान ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित थे और उनके अनुसार, उस समय भारत सोने की चिड़िया था। उन्होंने कहा, “औरंगजेब के समय में भारत की सीमाएं ब्रह्मदेश और अफगानिस्तान तक फैली हुई थीं और भारत में आर्थिक समृद्धि थी। मैंने इतिहास के तथ्यों का हवाला देकर कहा कि औरंगजेब एक अच्छा प्रशासक था। औरंगजेब और छत्रपति शिवाजी या छत्रपति संभाजी महाराज धर्म के लिए नहीं, बल्कि सत्ता और जमीन के लिए लड़ रहे थे।”
उन्होंने दोहराया कि उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज या छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में कोई आपत्तिजनक बयान नहीं दिया है और वे इन दोनों महापुरुषों का बहुत सम्मान करते हैं।
मुंबई सत्र अदालत द्वारा अग्रिम जमानत मिलने के बाद अबू आज़मी को कुछ राहत जरूर मिली है, लेकिन यह विवाद अभी भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब देखना होगा कि जांच के आगे बढ़ने के बाद इस मामले में क्या नया मोड़ आता है।