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Palghar News: एंबुलेंस नहीं मिली, नवजात का शव बैग में रख 80 KM तक पैदल चला पिता

Palghar News: पालघर जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की बड़ी लापरवाही सामने आई है। एंबुलेंस न मिलने के कारण एक गर्भवती महिला को 80 किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचने में 15 घंटे लग गए। इलाज में देरी से नवजात की मौत हो गई। परिजन का आरोप है कि समय पर मदद मिलती तो बच्चा बच सकता था। प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं और स्थानीयों में भारी आक्रोश है।

पालघर में स्वास्थ्य व्यवस्था की बड़ी लापरवाही उजागर

पालघर,14 जून: जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की गंभीर कमी एक बार फिर सामने आई, जब एक गर्भवती महिला को समय पर एंबुलेंस न मिलने के कारण निजी वाहन से 80 किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचाया गया। करीब 15 घंटे की देरी के बाद अस्पताल पहुंचने पर महिला को भर्ती तो किया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। नवजात शिशु की इलाज के दौरान मौत हो गई।

• क्या हुआ था मामला?
घटना पालघर के एक ग्रामीण क्षेत्र की है, जहां एक गर्भवती महिला को शुक्रवार रात प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिवार वालों ने तत्काल सरकारी एंबुलेंस सेवा को कॉल किया, लेकिन घंटों इंतजार के बावजूद कोई एंबुलेंस नहीं पहुंची। मजबूरी में महिला को निजी वाहन से लेकर परिजन 80 किलोमीटर दूर एक बड़े अस्पताल में ले गए, जहां पहुंचने में उन्हें 15 घंटे लग गए।

• इलाज में देरी, नवजात की मौत
अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने महिला को भर्ती तो कर लिया, लेकिन तब तक नवजात शिशु को बचाया नहीं जा सका। डॉक्टरों के अनुसार, समय पर चिकित्सा सहायता मिलने पर बच्चे की जान बचाई जा सकती थी।

•अस्पताल की संवेदनहीनता
नवजात की मौत के बाद जब महिला के पति ने देरी और लापरवाही को लेकर अस्पताल प्रबंधन से सवाल किए, तो अस्पताल प्रशासन ने जवाब देने के बजाय पुलिस बुला ली। इस व्यवहार से पीड़ित परिवार और अधिक आक्रोशित हो गया।

• प्रशासन ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
मामला सामने आने के बाद स्थानीय प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। जिलाधिकारी कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि प्राथमिक जांच में लापरवाही पाई गई है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

• स्थानीयों में आक्रोश
घटना के बाद इलाके में आक्रोश का माहौल है। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की है।

यह घटना न सिर्फ एक परिवार की व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाल स्थिति की एक और कड़वी सच्चाई है।

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