पुणे पोर्श हादसे में किशोर न्याय बोर्ड ने बड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपी को नाबालिग माना है। पुलिस की वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने की याचिका खारिज कर दी गई है।
मुंबई, 15 जुलाई | ब्यूरो रिपोर्ट – मेट्रो सिटी समाचार
पुणे में मई 2024 में हुए चर्चित पोर्श कार हादसे में अब नया मोड़ आ गया है। किशोर न्याय बोर्ड ने सोमवार को फैसला सुनाया कि हादसे के समय 17 वर्षीय आरोपी को वयस्क नहीं बल्कि नाबालिग के रूप में ही देखा जाएगा। इस फैसले के साथ ही पुलिस द्वारा आरोपी के खिलाफ वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने की याचिका को खारिज कर दिया गया है।
यह हादसा 19 मई 2024 को पुणे में हुआ था, जब एक तेज रफ्तार पोर्श कार ने दो आईटी इंजीनियरों — अनीश अवधिया और अश्विनी कोस्टा — को कुचल दिया था। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी। यह कार एक 17 वर्षीय किशोर चला रहा था जो एक प्रतिष्ठित बिल्डर का बेटा बताया गया था।
हादसे के तुरंत बाद आरोपी को जमानत दे दी गई थी, जिसमें उसे निबंध लिखने और काउंसलिंग की शर्तों के साथ छोड़ा गया। इसपर देशभर में भारी आक्रोश हुआ था, जिसके बाद उसे सुधार गृह भेज दिया गया। बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उस फैसले को पलटते हुए कहा कि किशोर न्याय कानून का पालन होना चाहिए और सुधारगृह भेजना अवैध था।
अब किशोर न्याय बोर्ड ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि आरोपी पर मुकदमा Juvenile Justice Act (जेजे एक्ट) के तहत ही चलेगा। इसका मतलब यह है कि उसे अब वयस्क अदालत में नहीं बल्कि बाल न्यायालय में मुकदमे का सामना करना होगा।
🚨 सामाजिक प्रतिक्रिया और चिंता
इस फैसले से जहां एक ओर कानून का पालन होता दिख रहा है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या गंभीर अपराधों में भी उम्र को ही एकमात्र पैमाना माना जाना चाहिए?
दोनों मृतकों के परिवारों ने इस फैसले को चुनौती देने की बात कही है।
Vasai-Virar News: विरार में ड्रग तस्करी रैकेट का पर्दाफाश, 12 आरोपी गिरफ्तार