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लोकल ट्रेन में मारपीट मामला: आरोपी महिला से पैसे लेकर समझौता करने वाला पुलिस कॉन्स्टेबल निलंबित

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लोकल ट्रेन में महिला से मारपीट: पुलिस ने पैसे लेकर किया समझौता, कांस्टेबल निलंबित

मुंबई | 7 जुलाई: मुंबई की लोकल ट्रेन, जो लाखों लोगों की रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा है, अब भ्रष्ट पुलिस सिस्टम का भी आईना बन रही है। 17 जून को चर्चगेट-विरार लेडीज स्पेशल लोकल ट्रेन में दो महिलाओं के बीच हुए झगड़े ने पूरे रेलवे विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

🚨 क्या हुआ था उस दिन?

33 वर्षीय कविता मेंडकर नाम की महिला रोज़ की तरह चर्चगेट-विरार लोकल से सफर कर रही थीं। विरार की रहने वाली 27 वर्षीय ज्योति सिंह से ट्रेन में चढ़ने को लेकर मामूली कहासुनी हो गई, जो देखते ही देखते हिंसक झड़प में बदल गई। ज्योति ने मोबाइल फोन से कविता के सिर पर वार किया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गईं। खून बह रहा था, पर पुलिस ने कोई केस दर्ज नहीं किया।

🤐 पुलिस ने क्या किया?

वसई रेलवे पुलिस ने पीड़िता की हालत देखने के बावजूद ज्योति सिंह को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया। कोई FIR नहीं, कोई मेडिकल जांच नहीं। बाद में जब सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो वायरल हुआ, तो असली कहानी सामने आई — पुलिस ने ₹5,000 में समझौता करवाया और पीड़िता को केवल ₹2,000 देकर मामला दबा दिया।

🔎 जांच में निकली सच्चाई

रेलवे पुलिस आयुक्त राकेश कलासागर ने जब वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले को गंभीरता से लिया, तो पूरे घटनाक्रम की जांच शुरू की गई। जांच में साफ़ हुआ कि वसई रेलवे पुलिस स्टेशन के कांस्टेबल एकनाथ माने ने आरोपी महिला से 3,000 रुपये खुद रखे और बाकी 2,000 रुपये पीड़िता को दिए।

🚫 सस्पेंशन और कड़ा संदेश

रेलवे पुलिस ने एकनाथ माने को सेवा से तत्काल निलंबित कर दिया। आयुक्त कलासागर ने स्पष्ट कहा कि –

“ऐसी हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पीड़ित को न्याय मिलेगा और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।”

⚖️ राजनीतिक प्रतिक्रिया और MNS की मांग

इस मामले में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने रेलवे पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया और पूछा कि महिला सुरक्षा के नाम पर सिर्फ विज्ञापन क्यों चलाए जा रहे हैं? मनसे नेताओं ने आरोपी महिला पर तत्काल कड़ी कार्रवाई की मांग की।

🧍‍♀️ पीड़िता का दर्द – “पुलिस ने मुझसे कहा, झगड़ा भूल जाओ…”

कविता मेंडकर ने बताया कि –

“मैं खून से लथपथ थी, लेकिन पुलिस ने कहा कि अगर तू रिपोर्ट लिखवाएगी तो कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगेंगे। समझौता कर ले, तू ठीक तो है न?”


यह मामला सिर्फ मारपीट का नहीं, बल्कि महिला सुरक्षा, पुलिस की जवाबदेही और सिस्टम की गहराई तक फैले भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण है। यह सवाल उठाता है –
क्या मुंबई की लोकल ट्रेनें अब सुरक्षित हैं? क्या गरीब पीड़िता को इंसाफ़ सिर्फ सोशल मीडिया के भरोसे मिलेगा?

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