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राज ठाकरे ने 1999 की सत्ता गंवाने की कहानी साझा की, जब CM पद पर शिवसेना-बीजेपी में टकराव हुआ

राज ठाकरे विजय रैली में 1999 के मुख्यमंत्री विवाद और सत्ता गंवाने की बात करते हुए

राज ठाकरे ने साझा की 1999 की सियासी चोट, जब CM पद पर शिवसेना-बीजेपी में मतभेद से सत्ता गई कांग्रेस-एनसीपी के हाथ

मुंबई, 6 जुलाई: एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने हाल ही में हुई ‘विजय रैली’ में 1999 के घटनाक्रम को याद करते हुए उस दौर की राजनीतिक उठापटक और शिवसेना-बीजेपी के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद का जिक्र किया। राज ने बताया कि कैसे उस समय के ग़लत निर्णयों की वजह से महाराष्ट्र की सत्ता कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के हाथ चली गई।

राज ने कहा, “बीजेपी को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता पर पूरा भरोसा था, इसलिए विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने से पहले चुनाव कराने का सुझाव आया।”

राज ने बताया कि एक दिन प्रकाश जावड़ेकर सहित बीजेपी के कुछ नेता मातोश्री आए और सुरेश जैन को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा। बालासाहेब ठाकरे, जो उस समय सो रहे थे, को उठाकर यह बात बताई गई — उन्होंने तुरंत यह प्रस्ताव ठुकरा दिया और साफ कहा: “मुख्यमंत्री सिर्फ मराठी ही होगा।”

इसके बाद शिवसेना ने निर्दलीयों का समर्थन जुटाने की कोशिश की, लेकिन बीजेपी मुख्यमंत्री पद पर अड़ी रही। यहां तक कि शिवसेना ने गोपीनाथ मुंडे के नाम को भी अस्वीकार कर दिया। अंततः सत्ता कांग्रेस-एनसीपी के पास चली गई और विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री बन गए।

राज ठाकरे के इस बयान से स्पष्ट होता है कि 1999 की राजनीति में मिली हार और अंदरूनी मतभेदों की टीस आज भी उनके मन में ताजा है।

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