विरार स्टेशन परिसर में शनिवार शाम को उस समय तनाव फैल गया जब एक रिक्षाचालक को मराठी भाषा बोलने से इनकार करने पर शिवसेना (उद्धव बाळासाहेब ठाकरे गुट) के कार्यकर्ताओं ने पकड़ लिया और थप्पड़ मारते हुए माफी मंगवाई।
दरअसल, यह मामला उस वीडियो से शुरू हुआ जो चार दिन पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में रिक्षाचालक स्पष्ट रूप से कहता नजर आता है –
“हिंदी बोलूंगा, भोजपुरी बोलूंगा, मगर मराठी नहीं बोलूंगा – तुझे क्या करना है?”
इस बयान को मराठीभाषियों ने अपमानजनक माना और स्थानीय स्तर पर रोष फैल गया। वीडियो के वायरल होते ही शिवसैनिकों ने मामले को गंभीरता से लिया और शनिवार को जब वह रिक्षाचालक स्टेशन परिसर में दिखाई दिया, तो उसे घेर लिया गया।
📹 घटना का वीडियो फिर हुआ वायरल
शिवसेना कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए रिक्षाचालक को थप्पड़ मारे और उसे सार्वजनिक रूप से “मैं महाराष्ट्र और मराठी माणस से माफी मांगता हूं” कहने के लिए मजबूर किया। इस पूरी घटना का वीडियो भी एक बार फिर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
👥 जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद स्थानीय नागरिकों में दो तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।
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कुछ लोगों ने कहा कि मराठी भाषा का अपमान कतई बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
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वहीं, कई लोगों ने सवाल उठाया कि कानून हाथ में लेना उचित नहीं है और इससे समाज में अस्थिरता फैल सकती है।
👮♀️ पुलिस की प्रतिक्रिया
अब तक इस मामले में कोई आधिकारिक पुलिस शिकायत दर्ज नहीं हुई है, लेकिन पुलिस सूत्रों के अनुसार स्टेशन परिसर में हुई इस घटना की जांच की जा रही है।
महाराष्ट्र में मराठी भाषा केवल एक भाषा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक मानी जाती है। ऐसे में उसका अपमान लोगों की भावनाओं को आहत कर सकता है। हालांकि, प्रतिक्रिया हमेशा कानूनी और शांतिपूर्ण तरीके से ही दी जानी चाहिए।
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घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
📹 वायरल वीडियो से भड़का मामला
चार दिन पहले एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक ऑटो चालक मराठी भाषा को लेकर बेहद अहंकारी और अपमानजनक रवैया अपना रहा था। वीडियो में वह साफ कहता है, “हिंदी बोलूंगा, तुझे क्या करना है?” यह बात सुनते ही मराठी भाषी नागरिकों में संताप की लहर दौड़ पड़ी।
🛺 शिवसेना का जवाब – “मराठी अस्मिता के साथ खिलवाड़ नहीं”
शनिवार को जब वह रिक्षाचालक विरार स्टेशन के पास नजर आया, तो शिवसेना (उबठा) के कार्यकर्ताओं ने उसकी पहचान कर ली और तुरंत उसे घेर लिया। उसके बाद उसे चौराहे पर ही रोका गया और “मराठी भाषेचा अपमान माफ नाही” कहते हुए कड़ी फटकार लगाई गई।
कार्यकर्ताओं ने उससे हाथ जोड़कर सार्वजनिक रूप से यह कहलवाया:
“मी मराठी माणसांची माफी मागतो, महाराष्ट्राची माफी मागतो!”
📢 जनता में दो राय
जहां एक ओर स्थानीय नागरिकों और मराठी भाषा प्रेमियों ने इस कार्रवाई का समर्थन किया, वहीं कुछ लोगों ने इसे ‘कानून को हाथ में लेने’ की श्रेणी में माना और पुलिस हस्तक्षेप की मांग की है।
🚓 पुलिस की स्थिति
फिलहाल इस घटना पर पुलिस की ओर से कोई औपचारिक बयान या एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। मगर चूंकि घटना का वीडियो इंटरनेट पर छाया हुआ है, इससे इस मुद्दे ने सामाजिक और भाषिक गरिमा की बहस को फिर जन्म दे दिया है।
मराठी भाषा को लेकर मुंबई महानगर क्षेत्र में सामाजिक-सांस्कृतिक अस्मिता बेहद संवेदनशील विषय है। यह घटना एक उदाहरण है कि भाषा के प्रति अपमानजनक रवैये को लोग अब बर्दाश्त नहीं करते। इस प्रकरण ने एक बार फिर “मराठी माणूस” की गरिमा को चर्चा के केंद्र में ला दिया है।