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नवी मुंबई: अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट का सख्त रुख, याचिका खारिज, 15,000 रुपये जुर्माना

घनसोली सैवीरा अपार्टमेंट अवैध निर्माण केस
घनसोली सैवीरा अपार्टमेंट अवैध निर्माण केस

नवी मुंबई के घनसोली में सैवीरा अपार्टमेंट के अवैध निर्माण के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। सिडको के विधिसम्मत आदेश को सही ठहराते हुए याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया गया।

नवी मुंबई, 22 अगस्त: नवी मुंबई के घनसोली नोड, सेक्टर-17 स्थित सर्वेक्षण क्रमांक 47, प्लॉट ए-3 पर बने सैवीरा अपार्टमेंट को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। इस भूखंड पर आरसीसी ग्राउंड फ्लोर के साथ पांच अतिरिक्त मंजिलों का निर्माण बिना योजना प्राधिकरण की अनुमति के किया गया था। सिडको ने इसे पूरी तरह अवैध घोषित करते हुए 11 जुलाई को महाराष्ट्र क्षेत्रीय योजना और नगर नियोजन अधिनियम के तहत तोड़ने का आदेश पारित किया था। साथ ही, संबंधित पक्ष पर दंड भी लगाया गया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए कैलाश बबन पोखरकर द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ में याचिका दायर की गई थी।

  • हाईकोर्ट की दो-टूक टिप्पणी और जुर्माना

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सिडको के आदेश को विधिसम्मत और सार्वजनिक हित में लिया गया निर्णय मानते हुए याचिका को सिरे से खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा अवैध निर्माण को वैध ठहराने का कोई कानूनी आधार प्रस्तुत नहीं किया गया। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह की याचिकाएं न केवल न्यायिक समय की बर्बादी करती हैं, बल्कि नियोजन प्रक्रियाओं को भी बाधित करती हैं। इसके चलते याचिकाकर्ता पर ₹15,000 का जुर्माना भी लगाया गया, ताकि भविष्य में इस प्रकार के अनधिकृत प्रयासों पर अंकुश लगाया जा सके।

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  • निर्माण रोकने के निर्देशों की अवहेलना

सिडको के मुताबिक 22 दिसंबर 2023 को किए गए स्थल निरीक्षण में यह स्पष्ट हुआ कि निर्माण कार्य प्रगति पर था। सुरेश भोसले नामक व्यक्ति को नोटिस भेजी गई, जिसमें उसे अवैध निर्माण स्वयं हटाने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। अंततः 29 फरवरी 2024 को निर्धारित विधि प्रक्रिया के तहत उस निर्माण को तोड़ दिया गया। हैरानी की बात यह रही कि इसके कुछ समय बाद उसी स्थान पर दोबारा नया निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया, जिससे सिडको को एक बार फिर हस्तक्षेप करना पड़ा।

  • स्थानीय न्यायालय से भी नहीं मिली राहत

नए निर्माण को लेकर एक बार फिर से सिविल न्यायालय, बेलापुर में बबन पोखरकर द्वारा नियमित सिविल वाद दायर किया गया, जिसमें अवैध निर्माण को हटाने पर रोक लगाने की मांग की गई। हालांकि 2 फरवरी 2024 को अदालत ने वादी की इस मांग को अस्वीकार कर दिया। इसके बावजूद निर्माण कार्य जारी रहा, जिसके चलते 7 जून 2024 को सिडको ने फिर से अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई की। यह पूरा घटनाक्रम दर्शाता है कि विकास प्राधिकरण और अदालतें अब अनधिकृत निर्माणों के प्रति सख्त रवैया अपना रही हैं और नियोजन कानूनों को दृढ़ता से लागू करने पर जोर दे रही हैं।

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