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Varanasi : नाव पर लगे झंडाें तो घाट पर पंडा का अलहदा अंदाज

Varanasi : विधानसभा के अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को है । देश-दुनिया की नजर वाराणसी पर है। इसकी एक वजह यह भी है कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र तो है ही, वाराणसी विश्व की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी भी है।

विधानसभा के अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को है । देश-दुनिया की नजर वाराणसी पर है। इसकी एक वजह यह भी है कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र तो है ही, वाराणसी विश्व की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी भी है। काशी के गंगा घाटों पर सिर्फ पर्यटन ही नहीं दिखता, यहां आकर एक खास बोध भी प्राप्त होता है।

माहौल चुनावी हो तो घाट का आकर्षण और बढ़ जाता है। यहां के रंग-ढंग में भी राजनीति के दीदार होने लगते हैं। इन दिनों पर्यटकों का मुख्य आकर्षण गंगा किनारे फैले घाट और नावें बनी हुई हैं। नाव पर लगा झंडा और घाट पर बैठा पंडा का अलहदा अंदाज हर किसी को अपने तरीके से सोचने को विवश करता है।

यूं तो नावों पर लगने वाले झंडे सहज और स्वाभाविक होते हैं और नाविकों को नाव संचालन में मदद देते हैं लेकिन इन झंडों में भी कुछ लोग राजनीतिक हवा का रुख देखने लगे हैं।

नाव चलाने वाले विक्की साहनी ने बताया कि गंगा नदी के इस पार से उस पार जाने के लिए मात्र चालीस रुपये किराया लगता है। वहीं दशाश्वमेध घाट से मणिकर्णिका घाट तक का किराया 50 रुपये तो बुकिंग चार्ज सौ रुपये होता है। घाट किनारे नाव की बनावट और उस पर लगा झंडा लोगों को अपनी ओर आकृष्ट करता है। झंडे नाव, नदी और घाट तीनों ही को खूबसूरत बनाते हैं।

उन्होंने बताया कि गंगा में चलने वाली नावों पर लाल, भगवा और कई रंगों के मिश्रण वाला झंडा दिखायी पड़ता है। जो नावों के संचालन में भी मददगार है। झंडे दूर से दिख जाते हैं और एक दिशा में चल रही नाव अपना रास्ता बदलती रहती है।

वाराणसी के अस्सी घाट के निकट रहने वाले राजेश पंडा अपनी अंग्रेजी टॉक के कारण चर्चा में रहे हैं। राजेश की अंग्रेजी बाहर देश से आने वाले पर्यटकों को नाव की सवारी करने में मदद करती है। घाट किनारे पंडा समाज का अपना नियम कानून है, जिसे रोजाना स्नान करने वाले सभी लोग जानते हैं। बाहर से आने वाले लोगों को पंडा समाज शीघ्र ही पहचान लेता है और उनकी हर सम्भव मदद करता है।

घाट पर चौकी पर बैठने वाले नारायण की मानें तो घाट पर नहाने वाले लोगों का वस्त्र इत्यादि चौकी पर रखने के बदले में कुछ धनार्जन हो जाता है। कंघा करने, टीका लगाने, रक्षासूत्र बांधने पर कुछ दान पुण्य भी मिलता है। बनारस के घाट पर दुनिया भर से पर्यटक आते हैं और उनके लिए पंडा समाज एक रक्षक समाज के रूप में बैठा रहता है।

वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम बनने के बाद से भीड़ में इजाफा हुआ है और घाटों पर भी लोगों की आवाजाही बढ़ी है। नाव से घूमने वाले भी बढ़े हैं तो पंडा समाज के ऊपर रक्षा का दायित्व बढ़ा हुआ है। मौसम बदलने पर साइबेरियन पक्षियों ने फोटो लेने वाले लोगों में भी उत्सुकता बढ़ाई हुई है।

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