उत्तर प्रदेश

UP: डिप्टी सीएम तो बने केशव प्रसाद मौर्य, पर पहले जैसी ताकत न रही, क्यों कही जा रही यह बात

keshav prasad maurya news 1648558080

UP : योगी आदित्यनाथ सरकार के पहले कार्यकाल में डिप्टी सीएम रहे केशव प्रसाद मौर्य इस बार भी रिपीट हुए हैं, लेकिन सरकार में मंत्रालयों के बंटवारे पर नजर डालें तो ताकत पहले जैसी नहीं दिखती।

उत्तर प्रदेश : योगी आदित्यनाथ सरकार के पहले कार्यकाल में डिप्टी सीएम रहे केशव प्रसाद मौर्य इस बार भी रिपीट हुए हैं। सिराथू विधानसभा सीट से हार के बाद भी उन्हें यह पद मिलना अहम माना जा रहा है, लेकिन सरकार में मंत्रालयों के बंटवारे पर नजर डालें तो ताकत पहले जैसी नहीं दिखती।

साफ है कि हार के बाद भी उन्हें डिप्टी सीएम जरूर बनाया गया है, लेकिन हाईकमान की ओर से उन्हें संदेश भी दिया गया है। इस बार उन्हें कुल 6 विभाग सौंपे गए हैं, जिनमें सबसे अहम हैं ग्रामीण विकास मंत्रालय। यह अपेक्षाकृत कमजोर विभाग है, जबकि 2017 में वह  PWD यानी लोक निर्माण विभाग मंत्री थे।

इस बार यह विभाग ब्राह्मण चेहरे कहे जाने वाले जितिन प्रसाद को दे दिया गया है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य एक मंत्री के तौर पर पिछले कार्यकाल के मुकाबले कमजोर हो गए हैं? चुनाव से कुछ महीने पहले ही भाजपा में आए जितिन प्रसाद को अहम मंत्रालय देकर पार्टी ने शायद ब्राह्मणों की अनदेखी न करने का संदेश दिया है।

जितिन प्रसाद लंबे समय तक कांग्रेसी रहे हैं और उन्हें टीम राहुल का मेंबर माना जाता है। वह 9 जून 2021 को कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हुए थे। तब से ही माना जा रहा था कि भाजपा उन्हें अहम जिम्मेदारी देकर ब्राह्मणों को लुभाने की कोशिश कर सकती है।

उनकी ही तरह से ब्रजेश पाठक को भी डिप्टी सीएम बना दिया गया, जो एक दौर में मायावती के करीबी थे और 2016 में बसपा छोड़कर भाजपा में आए थे। डिप्टी सीएम बने ब्रजेश पाठक को पहले कार्यकाल में भी कानून मंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी। वह चुनाव से पहले ब्राह्मणों को लुभाने के लिए आयोजित कार्यक्रमों में नजर आते थे।

बिरादरी को लुभाने के लिए पार्टी लीडरशिप की ओर से एक टास्कफोर्स का ही गठन कर दिया गया था, जिसकी लीडरशिप पाठक के हाथों में थी। डिप्टी सीएम के तौर पर उनकी ताकत की बात करें तो उन्हें स्वास्थ्य और चिकित्सा मंत्रालय के साथ परिवार कल्याण और मातृ एवं शिशु कल्याण विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। साफ है कि वह भी डिप्टी सीएम जरूर हैं, लेकिन मंत्रालय बहुत अहम नहीं हैं।

यह भी पढ़ें : केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा से सभी बोर्ड के छात्रों को समान अवसर मिलेगा

Show More

Related Articles

Back to top button