वसई-विरार में बिल्डरों की धोखाधड़ी पर होगी कड़ी कार्रवाई, पानी की समस्या का निकलेगा हल
विधायक संघर्षकन्या स्नेहा ताई दुबे पंडित ने विधानसभा में उठाया जनता का सवाल
वसई | 11 जुलाई 2025: वसई-विरार क्षेत्र की जनता को अब बिल्डरों की धोखाधड़ी और पानी की गंभीर समस्या से राहत मिलने की उम्मीद जगी है। महाराष्ट्र विधानसभा के आज के सत्र में वसई की विधायक संघर्षकन्या सौ. स्नेहा ताई दुबे पंडित ने एक जोरदार लक्षवेधी सूचना के माध्यम से सरकार का ध्यान इस burning मुद्दे की ओर आकर्षित किया।
उन्होंने बताया कि नायगांव समेत वसई-विरार क्षेत्र की लगभग 90% इमारतों को आज तक ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट (OC) नहीं मिला है, क्योंकि कई बिल्डर अधूरे प्रोजेक्ट छोड़कर भाग चुके हैं। इससे न सिर्फ हजारों लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, बल्कि उन्हें पीने के पानी जैसी आवश्यक चीजों के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
विधायक की सख्त मांगें:
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ऐसे धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों की ‘काली सूची’ (Bl0cklist) बनाई जाए।
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यह लिस्ट वसई-विरार महानगरपालिका सहित राज्य की सभी नगरपालिकाओं को भेजी जाए।
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जिन प्रोजेक्ट्स को OC नहीं मिला है, उनके बिल्डरों को नई अनुमति न दी जाए।
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सुप्रीम कोर्ट के 18 दिसंबर 2024 के आदेश के अनुसार CC और OC के बिना पानी कनेक्शन नहीं मिल सकता, लेकिन जब तक स्थायी हल ना निकले, नागरिकों को अस्थायी पानी कनेक्शन तुरंत दिया जाए।
इसके साथ ही उन्होंने महानगरपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाया और बताया कि कुछ अधिकारियों द्वारा जनता को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने विशेष रूप से रेड्डी नामक उप-संचालक पर ED की कार्रवाई का जिक्र करते हुए SIT जांच की मांग की।
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सरकार की प्रतिक्रिया:
संबंधित मंत्री ने विधानसभा में उत्तर देते हुए स्पष्ट किया कि
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किसी भी नागरिक को पानी से वंचित नहीं रहने दिया जाएगा।
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पानी कनेक्शन के लिए त्वरित और अस्थायी उपाय किए जाएंगे।
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जो बिल्डर गड़बड़ी में लिप्त पाए जाएंगे, उनकी अन्य संपत्तियों को कुर्क कर नए प्रोजेक्ट्स को अनुमति नहीं दी जाएगी।
विधानसभा के उपाध्यक्ष ने भी माना कि बिल्डरों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और उनकी जानकारी राज्य की सभी महानगरपालिकाओं को भेजी जाएगी।
वसई-विरार के हजारों नागरिकों की आवाज अब विधानसभा तक पहुंच चुकी है। आमदार संघर्षकन्या स्नेहा ताई दुबे पंडित के सशक्त और तथ्यपूर्ण नेतृत्व ने यह साबित कर दिया कि जब जनप्रतिनिधि ठान ले, तो व्यवस्था को झुकना ही पड़ता है।