🛑 तहलका! वसई-विरार में 60 एकड़ पर अवैध इमारतें, करोड़ों का घोटाला बेनकाब – ED की ताबड़तोड़ छापेमारी से हड़कंप
वसई-विरार —वसई-विरार में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका सबूत तब सामने आया जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को पूरे शहर में एक के बाद एक 16 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। ये कार्रवाई उन 41 अवैध रिहायशी और कमर्शियल इमारतों को लेकर की गई, जिन्हें करीब 60 एकड़ नगर निगम की जमीन पर गैरकानूनी रूप से खड़ा किया गया था।
जमीन मूल रूप से सीवेज ट्रीटमेंट और डंपिंग ग्राउंड के लिए आरक्षित थी, लेकिन बिल्डर-मनपा-एजेंट गठजोड़ ने मिलकर नकली दस्तावेजों और फर्जी मंजूरियों के जरिए इन इमारतों को वैध का जामा पहना दिया। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि ये प्रोजेक्ट्स 2010 से 2012 के बीच तैयार किए गए और इनमें फ्लैट्स बेच दिए गए, वो भी ज्यादातर गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों को!
ईडी की रडार पर आए आर्किटेक्ट्स, दलाल, और VVMC के अंदर बैठे अधिकारी—जिन्होंने इस पूरे घोटाले को अंजाम तक पहुंचाया। सूत्रों के अनुसार, ये घोटाला सिर्फ ज़ोनिंग नियमों की धज्जियां उड़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार हाई-लेवल राजनीतिक संरक्षण से भी जुड़ सकते हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिसंबर 2024 में इन इमारतों को अवैध घोषित कर ध्वस्त करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद ये मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठा। अब ED की कार्रवाई ने पूरे प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को वसई-विरार महानगरपालिका (VVMC) क्षेत्र में 16 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई 41 अवैध रेसिडेंशियल-कम-शॉपिंग इमारतों के निर्माण के पीछे सक्रिय सिंडिकेट के खिलाफ की गई, जिनका निर्माण फर्जी दस्तावेज़ों और भ्रष्ट महानगरपालिका अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया था।
इन अवैध इमारतों का निर्माण 60 एकड़ नगर निगम की ज़मीन पर किया गया था, जो मूलतः सीवेज ट्रीटमेंट और डंपिंग ग्राउंड के लिए आरक्षित थी। जांच में सामने आया है कि इमारतों को मंजूरी दिलवाने के लिए नकली अनुमतियाँ और कागजात बनाए गए थे।
🔍 जांच के दायरे में आए आर्किटेक्ट, लायजन एजेंट और VVMC अधिकारी
ईडी अधिकारियों के अनुसार, जिन ठिकानों पर छापेमारी की गई, उनमें वे आर्किटेक्ट शामिल हैं जिन्होंने इन अवैध इमारतों के नक्शे तैयार किए थे, लायजन एजेंट्स और VVMC के अंदरूनी लोग शामिल हैं जिन्होंने इन फर्जी निर्माणों को वैध कराने में मुख्य भूमिका निभाई।
ये इमारतें मुख्यतः अग्रवाल नगर और नालासोपारा (पूर्व) जैसे इलाकों में बनाई गई थीं और इन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को बेचा गया था।
🏗️ 2010 से 2012 के बीच हुआ निर्माण, कोर्ट के आदेश पर हुई थीं ध्वस्त
इस घोटाले से जुड़ी सभी 41 इमारतें 2010 से 2012 के बीच बनाईं गई थीं, जबकि 2024 में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद इन्हें दिसंबर 2024 में तोड़ दिया गया था।
ईडी को शक है कि यह पूरा घोटाला बिल्डरों, नगर निगम अधिकारियों और बिचौलियों के गठजोड़ से संचालित किया गया, जिसमें नियमों को ताक पर रखकर मासूम खरीदारों के साथ धोखा किया गया।
⚖️ 2024 में हाईकोर्ट के आदेश पर तोड़ी गईं इमारतें
इस स्कैम की गंभीरता को देखते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2024 में आदेश दिया था कि इन सभी अवैध इमारतों को तुरंत तोड़ा जाए। दिसंबर 2024 में बुलडोज़र चला, लेकिन अब ED ने इस घोटाले के असली ‘किंगपिन्स’ को पकड़ने की कार्रवाई शुरू कर दी है।