मुंबई, 1 अगस्त 2025: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने वसई-विरार सिटी म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (VVMC) घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 29 जुलाई 2025 को मुंबई, पुणे, नासिक और सताना में 12 अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) 2002 के तहत की गई।
छापेमारी के दौरान ED को 1.33 करोड़ रुपये नकद और बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस बरामद हुए। बरामद दस्तावेजों में VVMC के तत्कालीन आयुक्त अनिल पवार, IAS, के रिश्तेदारों और बेनामीदारों के नाम पर संपत्ति कागजात, कैश व चेक जमा पर्चियां शामिल हैं।
41 अवैध इमारतों का खेल
जांच में सामने आया कि 2009 से VVMC क्षेत्र में सरकारी और निजी जमीन पर अवैध रूप से 41 आवासीय और वाणिज्यिक इमारतें बनाई गईं। ये इमारतें उस जमीन पर खड़ी थीं जो शहर की डेवेलपमेंट प्लान के अनुसार “सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट” और “डंपिंग ग्राउंड” के लिए आरक्षित थी। आरोपियों ने फर्जी मंजूरी दस्तावेज बनाकर इन इमारतों को आम जनता को बेच दिया।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 8 जुलाई 2024 को इन सभी इमारतों को गिराने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी निवासियों की विशेष अनुमति याचिका (SLP) खारिज कर दी, जिसके बाद VVMC ने 20 फरवरी 2025 तक सभी 41 इमारतों को ध्वस्त कर दिया।
भ्रष्टाचार का संगठित नेटवर्क
ED की जांच में पता चला कि VVMC के आयुक्त, डिप्टी डायरेक्टर टाउन प्लानिंग (DDTP), जूनियर इंजीनियर, आर्किटेक्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट और लियाज़नर – सभी मिलकर एक संगठित भ्रष्टाचार नेटवर्क चला रहे थे।
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अनिल पवार, IAS, की नियुक्ति के बाद कमिश्नर के लिए 20-25 रुपये प्रति वर्ग फुट और DDTP वाई.एस. रेड्डी के लिए 10 रुपये प्रति वर्ग फुट रिश्वत तय की गई थी।
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अनिल पवार ने रिश्वत के पैसों को सफेद करने के लिए परिवार और बेनामी नामों से कई शेल कंपनियां बनाई, जो टावर निर्माण और वेयरहाउस डेवलपमेंट में लगी थीं।
अब तक की बरामदगी
इस केस में पहले की छापेमारियों में
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करीब 8.94 करोड़ रुपये नकद,
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23.25 करोड़ रुपये के हीरे जड़े जेवर और बुलियन,
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और 13.86 करोड़ रुपये के बैंक बैलेंस, शेयर, म्यूचुअल फंड व FDs फ्रीज़ किए जा चुके हैं।
ED ने कहा कि VVMC घोटाले में बड़े पैमाने पर काला धन और भ्रष्टाचार के सबूत मिले हैं और आगे की जांच जारी है।