नायगांव में नशा, हत्या और मिसिंग… नायगांव पुलिस को भनक तक नहीं !
मुंबई : पालघर जिले के वसई विरार शहर स्थित नायगांव (Naigaon ) इलाके में बीते 22 नवंबर को एक नर कंकाल पाए जाने की घटना पर कार्य करते हुए मीरा भायंदर वसई विरार आयुक्तालय की क्राइम ब्रांच जोन दो की टीम ने मामले में हत्या का खुलासा करते हुए हत्यारोपी तीन आरोपियों को गिरफ्तार करने और एक कठिन मामले को उजागर करने में बड़ी सफलता हासिल की है।
पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि बीते 22 नवंबर को नायगांव पुलिस स्टेशन क्षेत्र के बफाने नामक क्षेत्र में मुंबई गुजरात हाईवे के पास स्थित घनी झाड़ियों के बीच एक 25 से 30 वर्षीय युवक का नर कंकाल पाया गया था। इस मामले में नायगांव पुलिस स्टेशन में हत्या और साक्ष्य नष्ट करने का मामला बीते 22 नवंबर को दर्ज किया गया था।
क्राइम ब्रांच ने संभाला मोर्चा
इस मामले में क्राइम ब्रांच जोन दो की टीम ने नायगांव पुलिस स्टेशन के समानांतर जांच शुरू की। पुलिस की टीम ने मृतक के कंकाल की तस्वीरें निकाली और उनकी हजारों कॉपियां वसई क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में वितरित करवाया और लोगों से युवक संबंधित पहचान उजागर होने पर सूचना देने का अनुरोध किया, साथ ही अपने सूत्रों को काम पर लगा दिया।
चश्मदीद ने दिया सुराग
पर्चे बंटवाने के बाद जांच पड़ताल में लगी क्राइम ब्रांच की टीम को मामले में लीड मिली और उन्हे एक फोन आया जिसने इस पूरे मामले से परदा हटा दिया और अंत में आरोपियों के चेहरे उजागर हो गए।
इसलिए हुई थी लवेश की हत्या
पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि घटना बीते 8 नवंबर की है जब मृतक और आरोपी एक जगह बैठकर नशा कर रहे थे। घटनास्थल नायगांव स्थित मुंबई गुजरात हाईवे का बफाने इलाका, मुंबई से गुजरात की दिशा में आने वाला फ्लाईओवर ब्रिज खान खत्म होता है वहां सड़क की पटरी पर छोटी सी दुकान है जहां गाड़ियों इत्यादि का रूकना होता है। घटना के दिन यानि 8 नवंबर, दीवाली के चार दिन पहले उसी सुनसान जगह पर नशे का समान लिए ये सभी लोग वहां पहुंचते हैं। मृतक लवेश जो ऑटोरिक्शा चला रहा होता है वो हत्या आरोपी देवीदास उर्फ पक्या सूरज सिंह का रिक्शा था जिसे लवेश में पास में खड़े डंपर से भिड़ा दिया और ऑटो रिक्शा का कांच तोड़ गया। इस मामले में दोनों को जोरदार बहस हुई और बात भरपाई तक गई और भरपाई पर दोनो का आंशिक रूप से समझौता हो गया। उस वक्त इन दोनों के अलावा उनके साथ पक्या का दोस्त आनंद रंगनाथ सजने भी साथ था।
नशेड़ियों का यहां लगता है जमघट
कहासुनी के बाद ये तीनों लोग चरस पीने के लिए अपने रोज के अड्डे पर झाड़ियों के अंदर जाते हैं। जहां एक छोटा सा बिना दरवाजे वाला कमरा है, चारों तरफ झाड़, बड़े पेड़ और खेती है। वहां आस-पास देखने से ही लगता है कि यहां नशेड़ियों का जमघट लगता है। खाली पड़ी डिस्पोजल गिलास, नमकीन के पैकेट, देशी शराब, अंग्रेजी शराब की बोतलें, बीयर के केन और बीयर की बोतलें भारी संख्या में देखने को मिलती हैं।दरअसल वो जगह नशेड़ियों का स्वर्ग है जहां शांति एक साथ साथ सुकून, एकांत और प्राइवेसी भी मिलती है। जहां दूर दूर तक कोई आता जाता नहीं।
ये तीनों उस जगह पर जाते हैं और वहां पहले से ही कुछ और लोग गांजा, शराब और चरस पीने के लिए बैठे होते हैं। इन तीनों की टीम में एक लावारिस नाबालिग भी जुड़ जाता है जो इस हत्या मामले का तीसरा आरोपी है साथ ही उनके पास एक और व्यक्ति बैठकर नशा कर रहा था, जो इस मामले का चश्मदीद गवाह है, जिसकी कहानी हम आपको आगे बताएंगे।
बिगड़ी बात, कर दी हत्या
इस सभी नशेड़ियों का जमावड़ा लगने के बाद चरस इत्यादि पीने का दौर शुरू होता है और सभी धीरे धीरे नशे में धुत्त होने लगाते हैं। बताया गया है कि इसी दौरान मृतक लवेश ने नाबालिग हत्यारोपी की जेब से पांच हजार रुपए चुरा लिए जिसे नाबालिग ने चुराते समय देख लिया और फिर उसी बात पर दोनों की कहासुनी, मारपीट में बदल गई।
दोनो के बीच हो रही मारपीट में पक्या और आनंद सजने ने बीच बचाव करने की जगह नाबालिग का साथ दिया, क्योंकि लवेश ने पक्या की ऑटोरिक्शा का नुकसान कर दिया था। इसी रंजिश में पक्या और सजने सहित नाबालिग आरोपी, तीनों ने लवेश को अचेत होने तक पीटा और फिर एक बड़ा सा पत्थर उठाकर लवेश के सिर पर दे मारा, जिससे उसी जगह लवेश के प्राण पखेरू उड़ गए।हत्या के बाद तीनों ने मिलकर उसके शव को पास के हो नाले में फेक कर वहां से तीनों फरार हो गए और लवेश की लाश सड़कर कंकाल हो गई।
हत्या के समय वहां एक और व्यक्ति मौजूद था जिसने यह सब करने से मना किया लेकिन तीनों के सिर पर भूत सवार देखकर उसने उन्हे रोक पाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया लेकिन उसके दिल में यह पूरा वाकया घर कर गया था।
बीते २२ को राहगीर पंकज मोरे और उनके मित्र विक्रम भंडारी मुंबई से गुजरात की ओर यात्रा कर रहे थे, वहां निर्जन स्थान पर उन्होंने गाड़ी रोकी और लघुशंका के लिए उस तरफ गए जहां लवेश की लाश अब कंकाल का रूप ले चुकी थी।उन्होंने कंकाल देखा तो तत्काल उसकी सूचना नायगांव पुलिस स्टेशन को दी। जिसके बाद पुलिस की टीम और क्राइम ब्रांच की टीम अपने अपने स्तर से हत्या आरोपियों की तलाश में जुटी हुई थी।
क्राइम ब्रांच की टीम की मेहनत रंग लाई। उन्हे एक फोन आया, वो फोन बेहद कारगर साबित हुआ। इस बारे में पुलिस ने बताया है कि उनके द्वारा मृतक की तस्वीरें और कपड़ों की फोटो वायरल करने के बाद उन्हें एक व्यक्ति का फोन आया और उसने बताया कि शराब के नशे में धुत्त एक आदमी किसी युवक के मर्डर के बारे में बातें कर रहा है। इस बात को गंभीरता से लेते हुए क्राइम ब्रांच की टीम ने उस व्यक्ति से संपर्क किया, जिसके बाद इस पूरे मामले से पर्दा उठा गया।
नायगांव में नशा, हत्या और मिसिंग, फिर भी पुलिस को भनक तक नहीं
लवेश की हत्या तीन लोगों ने मिलकर की। जिसमें पक्या, सजने और तीसरा नाबालिग युवक शामिल था। नायगांव पुलिस स्टेशन क्षेत्र में ही वो स्थान है जहां नशेड़ियों का जमघट लगता है, उसी जगह पर लवेश की हत्या भी हुई और उसी पुलिस स्टेशन में लवेश की मिसिंग भी दाखिल हुई लेकिन नायगांव पुलिस स्टेशन को इसकी भनक तक नहीं लगी।
इससे भी बड़ी ताज्जुब वाली बात ये है कि 8 नवंबर को लवेश माली की हत्या हुई। तीनों हत्या आरोपियों में से एक हत्या आरोपी को पुलिस ने चोरी के एक मामले में बीते 11 नवंबर को गिरफ्तार भी किया था लेकिन उसने हत्या का राज अपने दिल में दबाए रखा और जेल भेज दिया गया।
इधर क्राइम ब्रांच की गिरफ़्त में आया पक्या, अपने दूसरे हत्या आरोपी दोस्त सजने के जेल चले जाने के बाद ये आश्वस्त हो गया कि अब इस हत्या का राज कभी नहीं खुलेगा।
लेकिन कहते हैं ना कि अपराध कोई ना कोई सबूत जरूर छोड़ कर जाता है तो इस मामले में भी वो कहावत सही साबित हुई और कंकाल ने आखिर राज खोल ही दिया और आरोपी सलाखों के पीछे चले गए.