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Badlapur Case : बॉम्बे हाई कोर्ट की फटकार, पुलिस पर सवाल

मुंबई: बदलापुर (Badlapur Case) में दो नाबालिग लड़कियों के साथ हुए यौन उत्पीड़न मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुलिस की कार्यवाही पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में देरी से कार्रवाई की है और कई महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी की है।

क्या हुआ कोर्ट में:

  • SIT प्रमुख की उपस्थिति: बदलापुर मामले की जांच कर रही SIT की प्रमुख, स्पेशल IG आरती सिंह, बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचीं।
  • पुलिस की कार्यवाही पर सवाल: कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि क्यों पीड़ित बच्चियों के बयान समय पर दर्ज नहीं किए गए?
  • स्कूल की भूमिका: कोर्ट ने पूछा कि स्कूल ने इस मामले में क्या भूमिका निभाई और क्यों स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई?
  • पुलिस की लापरवाही: कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में लापरवाही बरती है और कई महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है।
  • पीड़ितों की सुरक्षा: कोर्ट ने कहा कि पीड़ित बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सबसे महत्वपूर्ण है और सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।

कोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • पुलिस ने पीड़ित बच्चियों के बयान समय पर दर्ज नहीं किए।
  • स्कूल ने इस मामले में कोई भूमिका नहीं निभाई और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
  • पुलिस ने कई महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया।
  • पीड़ित बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सबसे महत्वपूर्ण है।
  • सरकार को इस मामले में गंभीरता से लेते हुए ठोस कदम उठाने चाहिए।

यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है:

  • यह मामला बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों की गंभीरता को दर्शाता है।
  • यह मामला पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है।
  • यह मामला समाज में बढ़ते गुस्से और असंतोष को दर्शाता है।

हम क्या सीख सकते हैं:

  • बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हम सबकी जिम्मेदारी है।
  • ऐसे अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
  • हमें शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करना चाहिए।

कोर्ट में क्या कुछ हुआ?

(Bombay High court, Badlapur sexual assault case)

बदलापुर मामले में सरकार द्वारा बनाई SIT की हेड आरती सिंह बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंची।बदलापुर मामले की जांच कर रही SIT चीफ स्पेशल IG आरती सिंह बॉम्बे हाईकोर्ट पहुँची. उनके साथ ठाणे पुलिस के डीसीपी सुधाकर पठारे भी कोर्ट पहुँचे।

महाधिवक्ता बीरेन सराफ और स्पेशल पीपी हितेन वेनेगांवकर दोनों कोर्ट रूम में पहुँचे हैं। महाधिवक्ता बीरेन सराफ ने कोर्ट को बताया आरती सिंह SIT की हेड है और ये पूरे मामले की जांच कर रही है. कोर्ट को बताया कि हर एक पहलू से जांच शुरू है,कही भी कोई चूक नही होगी। पुलिस ने जज को FIR को कॉपी और कुछ महत्पूर्ण डॉक्यूमेंट्स सौपे।

कोर्ट ने पूछा, “क्या पोस्को के तहत मामला दर्ज हुआ?”

साराफ ने बताया जी हां,और महिला अधिकारी उस समय मौजद थी।

कोर्ट ने पूछा 164 के तहत बयान दर्ज किया गया। सराफ ने कहा आज बयान दर्ज किया जाएगा।

सराफ– मेडिकल की जांच दोनी नाबालिगों की हो चुकी है।

क्या नाबालिग बच्चियों के बयान दर्ज किए गए हैं उनका 164 हुआ है?

सराफ– सिर्फ बयान दर्ज हुआ है,164 के तहत बयान दर्ज नही हुआ है।

SIT रिव्यू के बाद पूरी रिपोर्टर कोर्ट को सौप देगी।

कोर्ट– क्या लड़कियों ने स्कूल से शिकायत की?

सराफ: एफआईआर से तो ऐसा ही लग रहा है।

कोर्ट: तो क्या आपने स्कूल के खिलाफ कोई मामला दर्ज किया? POCSO में अपराध की रिपोर्ट न करने के लिए स्कूल के संबंधित अधिकारी को भी पार्टी बनाने का प्रावधान है।

सराफ- अब एसआईटी बन गई है तो यह किया जाएगा.

कोर्ट: लेकिन यह पहले ही किया जाना चाहिए था। जैसे ही परिवार ने एफआईआर दर्ज कराई, आपको स्कूल के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए था। क्या लड़कियों की काउंसलिंग की जा रही है? पीड़ित लड़कियों के साथ जो हुआ, हम इस तथ्य को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते. हम जानना चाहते हैं कि राज्य ने पीड़ित लड़कियों की काउंसलिंग के लिए क्या किया है?

कोर्ट- हम जानना चाहते हैं कि जब एसआईटी बनी और जांच सौंपी गई तो बदलापुर पुलिस ने पूरा रिकॉर्ड एसआईटी को क्यों नहीं सौंपा।

सराफ- दूसरे पीड़ित बच्ची का बयान अभी तक दर्ज नहीं किए गए हैं,आज बयान दर्ज किया जाएगा,FIR की कॉपी देख के मालूम होता है की एक बच्ची का बयान ही लिया गया है।

कोर्ट: तो आप हमसे तथ्य क्यों छिपा रहे हैं?

सराफ: मैंने अभी कोर्ट में अधिकारी से पूछा उन्होंने मुझे बताया कि एक बच्ची का बयान दर्ज हुआ है

अदालत को अब ठाणे पुलिस की तरफ से बताया गया कि दूसरी विक्टिम का स्टेटमेंट अभी हुआ नही है..
कोर्ट भड़का ..पहले कहा हुआ है अब कह रहे है कि नही हुआ है!

कोर्ट– POCSO अधिनियम की धारा 39 और 40 देखें,इसमें बच्चे को परामर्श देने का प्रावधान है।

सराफ– हमें कुछ समय दें हम जवाब देंगे।

कोर्ट– एसआईटी का गठन कब हुआ था?

सराफ– घटना 12 और 13 अगस्त की है।

कोर्ट– हमें नहीं पता कि बदलापुर पुलिस ने इस मामले की जांच कैसे की है,इसने शायद ही कुछ किया हो।

सराफ– हमने कुछ अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।

कोर्ट– लेकिन वह हल नहीं है. क्या अधिकारियों ने सीआरपीसी की धारा 173 के तहत अनिवार्य रूप से पीड़ितों के बयान दर्ज किए?

कोर्ट – पोक्सो एक्ट में अगर स्कूल को पता था और उन्होंने एक्शन नही लिया तो क्या उनके ख़िलाफ़ कोई कारवाई हुई।

सराफ-जी नही हुई हैं,SIT उसमे कारवाई करेगी

कोर्ट – जब FIR में ये लिखाया गया है कि स्कूल को इसकी जानकारी दी गई थी तो पुलिस को पहले ही एक्शन लेना चाहिए था स्कूल पर

कोर्ट – दूसरे विक्टिम के बारे में FIR में कोई मेंशन क्यों नही है?

सराफ – जी FIR के आखिरी हिस्से में लिखा गया है कि एक और विक्टिम है.

एडवोकेट जनरल ने विक्टिम का कोर्ट में FIR पढ़ते हुए नाम लिया,कोर्ट ने तुरंत रोका और फटकार लगाई,एडवोकेट जनरल ने माफ़ी मांगी।

कोर्ट ने कहा कि दूसरी लड़कियों के बयान अभी तक दर्ज नहीं किए गए हैं। उन्होंने सराफ से अगली तारीख पर यह बताने को कहा कि उनके बयान दर्ज करने में देरी क्यों हुई।

कोर्ट– यह बहुत गंभीर अपराध है,दो बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न हुआ,पुलिस मामले को गंभीरता से कैसे नहीं लेती. हम जानना चाहेंगे कि आप स्कूली लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं? लड़कियों की सुरक्षा से कतई समझौता नहीं किया जा सकता।

कोर्ट- यह अब आम बात हो गई है,जब तक तीव्र विरोध न हो, मशीनरी काम नहीं करती। क्या आप यह कहना चाहते हैं कि जब तक लोग सड़कों पर नहीं उतरेंगे, जांच गंभीरता से नहीं होगी?

कोर्ट ने आगे कहा कि उसे उम्मीद है कि न्याय सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।

सराफ: हम किसी को नहीं छोड़ेंगे,कोई भी अधिकारी हो.
कोर्ट– पीड़ितों और उनके परिवार को कानूनी सहायता और उनकी काउंसलिंग करें,यह सुनिश्चित करें कि दूसरी पीड़िता के बयान आज ही दर्ज हो जाएं।

कोर्ट– सुनिश्चित करें कि सब कुछ वीडियो रिकॉर्डेड है।
कोर्ट ने पीड़ितों की उम्र पूछी जिसपर सराफ ने बताया कि एक बच्ची 4 साल और दूसरी 3 साल की है।

कोर्ट– यह सबसे बुरा है! कोर्ट ने कहा कि न केवल एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई बल्कि स्कूल के संबंधित अधिकारियों ने शिकायत भी दर्ज नहीं की,यह एफआईआर कॉपी से साफ हो रहा है ।

सराफ ने कहा कि एक एसआईटी का गठन किया गया है,सारे डाक्यूमेंट्स एसआईटी को सौंप दिये गये हैं,केवल एक पीड़िता के बयान दर्ज किए गए हैं और दूसरे के बयान आज दर्ज किया जाएगा।

कोर्ट– क्या दूसरी पीड़िता के पिता का बयान दर्ज किया गया था? एसआईटी चीफ का कहना है कि इसे कल रिकॉर्ड किया गया था.

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