Palghar में नदी के बीच से अंतिम यात्रा ले जाने को मजबूर आदिवासी
मुंबई, Palghar के ग्रामीण इलाकों में आज भी बदहाली बरकरार है बदहाली का नज़ारा जिले के तलासरी तालुका के बोरमल-भिंडीपाड़ा गांव में देखने मिलता है। मौसम चाहें कोई भी हो गर्मी, सर्दी या बारिश।
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लोगों को नदी में से होकर श्मशान तक पहुंचना पड़ता है और बरसात में भी अंतिम संस्कार करना पड़ता है। क्योंकि वर्षो से जारी मांग के बाद भी न ही गांव में सड़क बनी न श्मशान जिससे यहां के ग्रामीण आजादी के अमृत काल मे भी यातनाओं भरा जीवन जीने को मजबूर है। बार-बार किचकिच होने के बाद भी यहां का प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है।
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बुजुर्ग मंगू धोडी की दो दिन पहले मौत हो गई। उनका अंतिम संस्कार करने के लिए परिवार और गांव वाले अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर अस्थाई श्मशान पहुंचे। ग्रामीणों का कहना है,कि वर्षो से न तो यहां तक के लिए सड़क बनाई गई न ही गांव में स्थाई तौर पर श्मशान जिससे नदी के रास्ते से गांव के लोग अपनी जान जोखिम में डालकर ग्रामीण अंतिम संस्कार के लिए मजबूर हैं।क्योंकि दूसरा रास्ता करीब 6 किमी का है।
बारिश में होती है मुश्किल
ग्रामीणों का कहना है गांव में श्मशान न बनाये जाने से नदी पार एक जगह पर अंतिम संस्कार किया जाता है। नदी में पानी बहता रहता है। बारिश के दिनों में ज़बरदस्त उफान रहता है।