Hindi-Marathi Controversy: हिंदी बनाम मराठी विवाद पर गरमाई सियासत: थप्पड़ कांड के विरोध में MNS का मोर्चा आज, पुलिस ने दी चेतावनी
मीरा-भायंदर, 8 जुलाई – महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषाओं को लेकर छिड़े विवाद ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) आज सकल मराठी समाज के साथ मिलकर मीरा-भायंदर डीसीपी ऑफिस तक एक बड़ा मोर्चा निकालने जा रही है। यह विरोध मार्च उस विवाद के संदर्भ में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें मराठी न बोलने पर एक राजस्थानी दुकानदार को MNS कार्यकर्ताओं ने थप्पड़ जड़ दिए थे। इस मामले में पुलिस ने पांच कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
पुलिस ने नहीं दी मार्च की अनुमति
मीरा-भायंदर पुलिस ने इस मोर्चे की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। डीसीपी प्रकाश गायकवाड ने साफ शब्दों में कहा कि “अब शहर में किसी प्रकार का तनाव नहीं है, दोनों समुदायों के बीच सुलह हो चुकी है, इसलिए मोर्चा निकालने की आवश्यकता नहीं है।” पुलिस ने मोर्चे के बैनर भी हटवा दिए हैं और नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
आयोजकों को चेतावनी, सोशल मीडिया पर निगरानी
पुलिस ने मोर्चा आयोजित करने वाले नेताओं को नोटिस जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि यदि किसी ने सोशल मीडिया के माध्यम से नफरत फैलाने की कोशिश की, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। डीसीपी गायकवाड ने यह भी दावा किया है कि दोनों पक्षों के नेताओं के बीच आपसी समझौता कराया जा चुका है, और वर्तमान में स्थिति पूर्णतः नियंत्रण में है।
“किसी भी कीमत पर निकलेगा मोर्चा” – MNS
दूसरी ओर, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और मराठी एकीकरण समिति के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वे पुलिस के दबाव में नहीं आएंगे। उनका कहना है कि “मराठी अस्मिता” से जुड़े इस मोर्चे को रोका नहीं जा सकता और यह हर हाल में निकलेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि मराठी भाषा और मराठी मानुष को लगातार अपमानित किया जा रहा है और अब इसका प्रतिकार जरूरी है।
पृष्ठभूमि: थप्पड़ कांड ने भड़काया विवाद
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब मीरा रोड में एक राजस्थानी दुकानदार को कथित रूप से मराठी में जवाब न देने पर MNS कार्यकर्ताओं ने थप्पड़ मारे। इस घटना का वीडियो वायरल हुआ और प्रदेशभर में विवाद की आग फैल गई। इसके बाद पुलिस ने 5 कार्यकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज की थी।
मीरा-भायंदर की सड़कों पर आज मराठी अस्मिता और पुलिस प्रशासन के बीच सीधा टकराव देखने को मिल सकता है। प्रशासन शांति बनाए रखने की कोशिश में है, तो वहीं MNS और अन्य मराठी संगठनों का कहना है कि यह लड़ाई उनकी भाषा और सम्मान की है, जिसे अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।