Maharashtra Politics: जितेंद्र आव्हाड के ‘सनातन धर्म’ पर दिए विवादित बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में घमासान मच गया है। नितेश राणे और संजय निरुपम ने इसे हिंदू परंपरा का अपमान बताया।
मुंबई, 3 अगस्त: एनसीपी-एसपी नेता जितेंद्र आव्हाड के ‘सनातन धर्म’ पर दिए विवादित बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में जबरदस्त उबाल आ गया है। उन्होंने कहा था कि “सनातन धर्म ने भारत को बर्बाद किया है” और यह भी दावा किया कि “सनातन नाम का कोई धर्म था ही नहीं।” इस बयान को लेकर विरोधी दलों और खासकर हिंदू संगठनों ने तीखी आपत्ति दर्ज कराई है।
🔥 नितेश राणे का बयान:
राज्य के मंत्री और भाजपा नेता नितेश राणे ने आव्हाड के बयान को हिंदू परंपरा और संत संस्कृति का अपमान बताया। उन्होंने लिखा, “सनातनी आतंकवाद जैसी भाषा भारत की सहिष्णु और लोकतांत्रिक परंपरा को बदनाम करने का प्रयास है।”
राणे ने पूर्व कांग्रेस नेताओं – सुशील कुमार शिंदे और पृथ्वीराज चव्हाण द्वारा पहले दिए गए ऐसे ही बयानों की याद दिलाई और शरद पवार व सुप्रिया सुले से पूछा कि क्या वे भी इस बयान से सहमत हैं।
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🔁 संजय निरुपम का पलटवार:
शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता संजय निरुपम ने कहा कि “अगर सनातन धर्म न होता, तो भारत कब का सऊदी अरब बन गया होता।” उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा को चोट पहुंचाने वाले ऐसे बयानों का हर स्तर पर विरोध होना चाहिए। निरुपम ने आव्हाड पर फर्जी कहानियां फैलाने का भी आरोप लगाया।
📌 धर्म और राजनीति की नई खाई:
इस बयान से उठे विवाद ने एक बार फिर धर्म और राजनीति के बीच संवेदनशील संतुलन को उजागर किया है। एक ओर यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत आता है, तो दूसरी ओर इसे करोड़ों सनातन अनुयायियों की भावनाओं पर हमला भी माना जा रहा है।
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