Maharashtra Hindi Sahitya Academy Award 2024 : साहित्यकार राजाश्रित नहीं राजपुरस्कृत होना चाहिए : प्रो. दुबे
महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ने हिंदी सेवियों को किया पुरस्कृत
मुंबई : “साहित्यकार राजाश्रित नहीं बल्कि राजपुरस्कृत होना चाहिए”। एक सच्चे साहित्यकार को पुरस्कृत कर उसे साहित्य सृजन और संस्कृति के संरक्षण करने हेतु प्रेरित करने का उत्तरदायित्व समाज और राष्ट्र का कर्तव्य होता है। उक्त उद्गार महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष प्रो. (डॉ.) शीतला प्रसाद दुबे ने अकादमी के द्वारा आयोजित वर्ष 2023-24 के पुरस्कार वितरण समारोह में व्यक्त किये।
इसी क्रम में उपाध्यक्ष मंजू लोढ़ा ने कहा कि साहित्यकारों का सम्मान करके अकादमी स्वयं को सम्मानित महसूस कर रही है। वरिष्ठ कवि और अकादमी के वरिष्ठ सदस्य डॉ. सुधाकर मिश्र ने छत्रपति शिवाजी महाराज और कवि भूषण के प्रथम मुलाकात के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि महाराष्ट्र की भूमि सदैव से साहित्यकारों का सम्मान करती रही है। अकादमी उसी परम्परा को सफलता पूर्वक आगे बढ़ा रही है। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ने अपनी सक्रियता से विगत कुछ दिनों में कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं; जिसका श्रेय अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. दुबे को जाता है। एक सप्ताह के अल्प समय में इतने बड़े पुरस्कार समारोह का इतना भव्य आयोजन दुबे जी जैसे विरले व्यक्तित्व कर सकते हैं।
अकादमी द्वारा इस समारोह में दक्षिण भारत में भारतीय संस्कृति, ज्ञान परंपरा और हिंदी भाषा -साहित्य का मार्ग प्रशस्त करने वाले आचार्य उदयन मीमांसक को अखिल भारतीय जीवन गौरव पुरस्कार और ‘युग प्रवर्तक छत्रपति शिवाजी महाराज ‘जैसे अनेक महाकाव्यों के रचयिता डॉ. रामबोध पांडेय को श्री राममनोहर त्रिपाठी अखिल भारतीय जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके साथ ही हिंदी के प्रसार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान देने वाले 8 गणमान्यों को राज्य स्तरीय जीवन गौरव पुरस्कार प्रदान किया गया। साथ ही हिंदी साहित्य की 14 विधाओं में स्वर्ण, रजत तथा कांस्य पुरस्कार प्रदान किए गया।
ये सभी पुरस्कार महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष प्रो. शीतला प्रसाद दुबे, उपाध्यक्ष मंजू लोढ़ा, अकादमी के वरिष्ठ सदस्य डॉ. सुधाकर मिश्र एवं वरिष्ठ पत्रकार विमल मिश्र द्वारा प्रदान किये गए। पुरस्कार वितरण समारोह में महाराष्ट्र राज्य के पूर्व राज्यमंत्री अमरजीत मिश्र सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार, पत्रकार, पुरस्कार मूर्ति एवं उनके परिवार के सदस्यों तथा हिन्दी सेवियों की उपस्थित थे।