महाराष्ट्रवसई-विरार

Nalasopara Fire : आग से व्यापारी बर्बाद, महानगरपालिका के संरक्षण में चल रहे कई अवैध बाज़ार

मनपा की लापरवाही से बर्बाद हुए लोग, जिम्मेदारों को अभी भी बचा रही महानगरपालिका

नालासोपारा स्टेशन परिसर पूर्व से सटकर बनाए गए अवैध जाधव मार्केट पर वसई विरार शहर मनपा ने तोडक कार्रवाई करते हुए इसे पूरी तरह ढहा दिया है लेकिन लोगों के जेहन में अभी भी सवाल बना हुआ है कि सिर्फ तोड़क कार्रवाई क्यों की गई,लाखों के नुकसान के पीछे हुई लापरवाही पर मामला दर्ज़ क्यों नहीं?क्या मनपा अधिकारी इतने नुकसान के बाद भी इस घटना एक जिम्मेदार लोगों को बचा रहे हैं?

Nalasopara Fire

आपको बता दें कि 30 अक्टूबर की शाम जाधव मार्केट में भीषण आग लगी थी जिसमें 6 दुकानें जलकर स्वाहा हो गईं। इस आगजनी में मध्यमवर्गीय दुकानदारों का सब कुछ जलकर खाक हो गया।अब ना तो उनकी पूंजी बची और ना ही दुकान,जिससे वो अपना नुकसान भरपाई करने के लिए एक बार फिर से मेहनत कर सकें।

क्यों दर्ज नहीं हुई FIR? क्यों नहीं होती प्रतिबंधात्मक कार्रवाई?

नालासोपारा पूर्व स्थित जाधव मार्केट को अवैध तरीके से बनाकर,लोगों के जान माल से खिलवाड़ कर उससे उगाही की जा रही थी। इसमें कथित तौर पर रेलवे विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत भी बताई जा रही है।अब सवाल है कि जाधव मार्केट में लगातार आग लगने की घटनाएं होती रही हैं,लोगों का लाखों का सामान जलता है और ये बाजार बार बार बना दिया जाता है।आखिर इस को फिर से बनाए जाने पर रोक क्यो नहीं लगा पाती मनपा प्रशासन और संबंधित विभाग?
लोगों का मानना है कि कुछ महीनों बाद ये मार्केट फिर से बना दिया जाएगा,ऐसा होता आ रहा है।

Nalasopara Fire

नालासोपारा में चल रहे और भी कई खतरनाक बाजार..

अवैध जाधव मार्केट में आग लगने की घटना ने मनपा प्रश्न पर कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।जिसमें प्रमुख ये कि आगजनी की बार बार हुई घटनाओं के बाद मनपा अवैध निर्माण को तोड़ कर छोड़ देती है और वो फिर से अवैध निर्माण खड़ा कर दिया जाता है।दूसरा ये कि स्टेशन जैसे महत्वपूर्ण जगह के आस पास ऐसे बाजार किसकी लापरवाही से फल फूल रहे हैं? जिस जगह यह घटना हुई उसके आस पास कई तरह के अवैध बाजार चलाए जा रहे हैं,कुछ तो मॉल की शक्ल में चलाए जा रहे हैं।अगर ऐसी जगहों पर आगजनी की घटना होती है तो फिर किसी बड़े हादसे का रूप ले सकती है।

Nalasopara Fire

मॉल की शक्ल में चलाए जा रहे अवैध बाजारों में ना तो एंट्री ढंग की है और ना ही फायर एग्जिट ही है। मॉल का नाम देकर लाखों रुपए महीने भाड़े के रूप में कमाने वाले ये अवैध व्यापारी, मॉल के दुकानदारों की सुरक्षा के संबंध में किसी भी प्रकार के सुरक्षा उपकरण नहीं लगवाया है और न ही इन जगह पर हवा निकासी और फायर ब्रिगेड की गाड़ियों की आवाजाही की आवश्यक जगह ही उपलब्ध करवा पाए हैं। महानगपालिका प्रधान और फायर ब्रिगेड की टीम ने ऐसी जगहों की ना तो अभी तक पहचान कर पाई है और ना ही किसी भी प्रकार की फायर ऑडिट कर पाई है।अगर बारीकी से देखा जाए तो इस प्रकरण में फायर ब्रिगेड अधिकारी सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।जिन पर समय रहते संज्ञान लेकर कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

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