विरार (पालघर): विरार पश्चिम के प्रसिद्ध अर्नाळा किले में स्थित प्राचीन कालिका देवी मंदिर में इस बार नवरात्रि पर्व की जबरदस्त रौनक देखने को मिल रही है। समुद्र किनारे बसे इस ऐतिहासिक किले और मंदिर परिसर में इन दिनों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। पूजा, आरती और भक्तिमय आयोजनों से पूरा वातावरण देवीमय हो गया है।
अर्नाळा किला समुद्र के बीच बसे छोटे से टापू पर स्थित है, जहां पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। इसी टापू के प्रवेश द्वार पर कालिका देवी का प्राचीन मंदिर है, जिसे स्थानीय लोग किले और गांव की रक्षक देवी मानते हैं। मंदिर के गर्भगृह में कालिका देवी के साथ गणपति और अन्य देवी-देवताओं की भी प्रतिमाएं स्थापित हैं। इतिहासकारों के अनुसार, जहां आज मंदिर स्थित है, वहां कभी मराठाओं द्वारा बनाई गई सागरी जेट्टी हुआ करती थी।
गांव के बुजुर्गों का मानना है कि जंजिरे अर्नाळा गांव माता सीता का मायका माना जाता है। ग्रामीणों का विश्वास है कि जब तक सीता माता का वरदहस्त इस गांव पर है, तब तक कोई भी प्राकृतिक या मानव-निर्मित आपदा गांव को नुकसान नहीं पहुंचा सकती। यही वजह है कि यहां आए बड़े-बड़े तूफानों और समुद्री लहरों का असर गांव पर कभी नहीं पड़ा।
कोळी समाज (मछुआरे) का देवी के प्रति विशेष लगाव है। गहरे समुद्र में मछली पकड़ने जाने से पहले वे देवी के दर्शन कर ही नाव समुद्र में उतारते हैं। नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना, भजन, आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। अर्नाळा का इलाका फूलों की खेती के लिए मशहूर है और यहां के लोग देवी को विशेष रूप से फूलों की वेणियां अर्पित करते हैं।
दसरे पर भव्य उत्सव
दसरे के दिन कालिका देवी मंदिर में विशेष महोत्सव का आयोजन होता है। इस मौके पर पालघर जिले के अलग-अलग गांवों से बड़ी संख्या में कोळी बांधव यहां दर्शन के लिए आते हैं। पहले सफाळा, दातिवरे, कोरे और एडवण गांवों के श्रद्धालु बोटों पर तारवे (पारंपरिक झंडे) लेकर देवी के दरबार में पहुंचते थे। आज भी इस दिन मंदिर और किला उत्सव व उल्लास से सराबोर हो जाता है।