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मुंबई-गुजरात हाईवे पर दिन में जाम और रात में अंधेरे से जूझ रहे हैं यात्री, सड़कें बदहाल, स्ट्रीटलाइट बंद!

मुंबई-गुजरात हाईवे पर रात में बंद स्ट्रीटलाइट और खस्ताहाल सड़क का दृश्य, वाहन धीमी गति से गुजरते हुए

 मुंबई-गुजरात हाईवे पर अंधेरे का राज: सड़कें टूटी, लाइटें बंद और रख रखाव पर सवाल

वसई 31 जुलाई 2025: मुंबई से गुजरात को जोड़ने वाला NH-48 हाईवे इन दिनों बदहाल हालात और लापरवाही का प्रतीक बन गया है। मेट्रो सिटी समाचार ने जब रात के समय सोपारा फाटा से विरार फाटा तक सड़क का निरीक्षण किया, तो चौंकाने वाला सच सामने आया—पूरे 5 किलोमीटर में एक भी स्ट्रीटलाइट जलती हुई नहीं दिखी। पहले ही लोग गड्ढों, अधूरे निर्माण और दिन भर लगने वाले ट्रैफिक जाम से त्रस्त हैं, और अब रात में अंधेरे में सफर करना जान जोखिम में डालने जैसा बन चुका है।

रात के समय न केवल गड्ढे, अधूरे निर्माण और टूटे पटरियों की वजह से वाहन चालकों को खतरा रहता है, बल्कि अंधकार के कारण दुर्घटनाएँ और बढ़ गई हैं। कई बार दोपहिया वाहन चालकों को गड्ढा और मोड़ दिखता ही नहीं, जिससे हादसों की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। एम्बुलेंस, स्कूल बसें एवं जरूरी सेवा वाली गाड़ियाँ भी अंधेरे में घंटों जाम में फँसी रहती हैं, जिससे आपातकालीन स्थिति में जान दाँव पर लग जाती है।

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स्थानीय यात्रियों का कहना है, “अगर आप सड़क नहीं बना सकते तो कम से कम स्ट्रीटलाइट तो चालू करिए!” यह सवाल सिर्फ अंधेरे का नहीं, बल्कि जीवन की सुरक्षा का है। दिन में जहां ट्रैफिक की वजह से लोग ऑफिस, स्कूल और अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे, वहीं रात में बिना रोशनी के गाड़ी चलाना खुदकुशी करने जैसा है। ऐसे हालात में लोगों का गुस्सा अब सरकार, ठेकेदार और बिजली विभाग तीनों पर फूट रहा है।

लापरवाही पर एक नज़र:

  • NH-48 पर 5 किमी तक लगातार स्ट्रीटलाइट बंद, सड़क पूरी तरह अंधेरे में डूबी।

  • रात में गड्ढे एवं टूटी सड़क नहीं दिखतीं, हादसे बढ़े, डर के साये में सफर।

  • जिम्मेदारी तय नहीं: NHAI, ठेकेदार और बिजली विभाग पर सवाल।

  • आपात सेवाओं (एम्बुलेंस, बसें) के लिए बड़ा खतरा, जाम में फंसी रहीं।

  • जनता ने प्रशासन, ठेकेदार व सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, सोशल मीडिया पर खुलकर रोष।

इस हाईवे की देखरेख की जिम्मेदारी किसकी है? ठेकेदारों की, NHAI की, या बिजली विभाग की? NHAI नियुक्त अधिकारी आखिर कर क्या रहे है? जब उन्हें करोड़ो का बजट दिया गया है तो वो जा कहाँ रहे हैं? न डिवाइडर , न स्ट्रीट लाइट्स, न सड़क सही, न सुरक्षा-सफाई जब भारत की जनता मोटा टैक्स भर रही है तो उन्हें सुविधाएँ क्यों नहीं मिल रही? लोगों ने कह दिया इस प्रोजेक्ट और काम करने वाले अधिकारी भ्रष्टाचारी हैं। आखिर NHAI कब देगी जवाब? और ये है नए भारत की पहचान?

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