Palghar News: पालघर के तलासरी में 110 वर्षीय आदिवासी महिला का अंतिम संस्कार भारी बारिश में खुले में करना पड़ा क्योंकि गांव में श्मशानभूमि नहीं है। यह घटना आदिवासी क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी को उजागर करती है।
पालघर में दिल दहला देने वाली घटना: 110 वर्षीय महिला का भारी बारिश में अंतिम संस्कार, गांव में नहीं है श्मशानभूमि
🗓️ 21 जून 2025 | 📍 रिपोर्ट – मेट्रो सिटी समाचार डिजिटल डेस्क
डहाणू (पालघर): महाराष्ट्र-गुजरात सीमा से सटे पालघर जिले के तलासरी तालुका में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। यहां पारसपाड़ा गांव में रहने वाली 110 वर्षीय आदिवासी महिला मोटलीबेन अहिर के निधन के बाद, गांव में श्मशानभूमि न होने के कारण परिवार को भारी बारिश और कीचड़ के बीच खुले मैदान में ही उनका अंतिम संस्कार करना पड़ा।
यह घटना न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि पालघर जैसे आदिवासी बहुल जिलों में आज भी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है।
🌧️ भीगते रहे, चुपचाप संस्कार किए
बोरमाळ गांव की रहने वाली मोटलीबेन अहिर का निधन वृद्धावस्था के कारण हुआ। अंतिम संस्कार के लिए परिवार व ग्रामीणों को बारिश में भीगते हुए, कीचड़ से जूझते हुए खुले स्थान पर संस्कार करना पड़ा क्योंकि पास में कोई सुविधा युक्त श्मशानभूमि उपलब्ध नहीं थी।
📢 ग्रामीणों का आक्रोश
गांववालों ने प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि वे कई सालों से श्मशानभूमि की मांग कर रहे हैं, लेकिन हर बार उनकी गुहार को नजरअंदाज किया जाता है। इससे पहले भी बोरमाळ और आसपास के क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
🏞️ सामाजिक विविधता, पर सुविधाओं का अभाव
बोरमाळ में आदिवासी, धोडी, अहिर और अन्य समुदायों के लोग रहते हैं। गांव में सिर्फ एक श्मशानभूमि है, जो चार पाड़ों (वाडियों) के लिए है, लेकिन वह भी बिना आवश्यक सुविधाओं के है। धार्मिक रीति-रिवाजों में भिन्नता के चलते कई परिवार मजबूरी में नदी किनारे संस्कार करते हैं।
🗣️ सरपंच का बयान
कोचाई-बोरमाळ ग्राम पंचायत की सरपंच आशा वळवी ने कहा:
“श्मशानभूमि की व्यवस्था एक किलोमीटर के भीतर है, फिर भी नदी किनारे अंतिम संस्कार क्यों किया गया, यह समझना जरूरी है। संबंधित परिवार से बात कर समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।”
🚨 प्रशासन से मांग
अब गांववाले मांग कर रहे हैं कि प्रशासन तुरंत नई और सुविधा युक्त श्मशानभूमि के लिए कदम उठाए ताकि किसी और को अपने परिजन का अंतिम संस्कार बारिश और कीचड़ में करने की पीड़ा न झेलनी पड़े।