राज ठाकरे का बयान: “मराठी ज़रूरी है, पर मारपीट का वीडियो मत बनाओ” – MNS कार्यकर्ताओं की हिंसा पर बोले नेता
मुंबई, 5 जुलाई: मुंबई में मराठी भाषा को लेकर बढ़ते विवाद के बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने एक विवादित बयान देकर नया तूफान खड़ा कर दिया है। यह बयान उस वक्त आया जब MNS कार्यकर्ताओं ने ‘अर्थशास्त्री और व्यापारी सुशील केडिया’ के कार्यालय में कथित रूप से तोड़फोड़ की।
दरअसल, सुशील केडिया ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा था कि वे मराठी नहीं सीखेंगे और MNS प्रमुख राज ठाकरे की भाषा को लेकर की जा रही ज़बरदस्ती पर नाराज़गी जताई थी। इस पोस्ट के बाद मनसे कार्यकर्ता नाराज़ हो गए और मुंबई के मिरा रोड स्थित केडिया के कार्यालय पर हमला कर दिया।
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इस हमले के बाद जब मीडिया ने राज ठाकरे से प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कहा:
“कोई भी हो – गुजराती हो या कोई और – मराठी आनी चाहिए। पर लोगों को पीटने की ज़रूरत नहीं। लेकिन अगर कोई ज़रूरत से ज़्यादा ड्रामा करता है, तो हां, उसके कान के नीचे मार दो।”
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इसके बाद उन्होंने जोड़ते हुए कहा:
“और एक बात – अगर किसी को मारो, तो उसका वीडियो मत बनाओ। मारो और चुप रहो। जिसने मार खाई है, वही कहे कि उसे मारा गया है। तुम्हें उसका प्रचार नहीं करना है।”
राज ठाकरे का यह बयान जहां उनके समर्थकों द्वारा सराहा जा रहा है, वहीं कुछ सामाजिक और राजनीतिक वर्गों में इसकी निंदा भी हो रही है। इस प्रकरण ने एक बार फिर महाराष्ट्र में भाषा के मुद्दे को गर्म कर दिया है। मराठी भाषा को सम्मान देने की मांग को लेकर MNS लंबे समय से आंदोलनरत है, लेकिन इस तरह की हिंसा और धमकी की प्रवृत्ति पर आलोचना हो रही है।
फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। वहीं दूसरी ओर, विवाद बढ़ता देख सुशील केडिया ने माफी मांग ली है और राज ठाकरे को “हिरो” बताते हुए कहा कि वे गुस्से में थे और उनकी मंशा किसी की भावना को ठेस पहुंचाने की नहीं थी।
राज ठाकरे का बयान:
“मराठी आनी ही चाहिए — कोई भी हो, गुजराती हो या कोई और। लेकिन मारपीट की ज़रूरत नहीं। पर अगर ज़्यादा ड्रामा करता है, तो कान के नीचे मार दो। और हां, मारो तो उसका वीडियो मत बनाओ। मारो और चुप रहो, जिसने मार खाई है वो कहेगा कि उसे मारा गया है। तुम्हें प्रचार नहीं करना है।”
उनका यह बयान MNS समर्थकों के बीच सराहा गया, लेकिन सामाजिक और राजनीतिक वर्गों ने इसकी कड़ी आलोचना की।
⚠️ हिंसा पर दोहरी प्रतिक्रिया
एक तरफ राज ठाकरे ने हिंसा को “नकारा”, तो दूसरी तरफ उन्होंने उसे “ज़रूरी स्थिति में सही” ठहराया और सार्वजनिक प्रचार से परहेज करने की सलाह दी — यही दोहरा रवैया विवाद की जड़ बन गया।
🤝 केडिया ने मांगी माफ़ी
विवाद बढ़ता देख सुशील केडिया ने माफी मांग ली है और राज ठाकरे को “हीरो” बताते हुए कहा कि वे गुस्से में थे और उनकी मंशा किसी की भावना को ठेस पहुंचाने की नहीं थी।
🚨 पुलिस जांच शुरू
फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। हालांकि अब तक किसी MNS कार्यकर्ता की गिरफ्तारी नहीं हुई है।