मुंबई, 29 जून: महाराष्ट्र सरकार द्वारा पहली कक्षा से हिंदी भाषा को अनिवार्य किए जाने के फैसले को वापस लेने के बाद, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे मराठी अस्मिता की जीत और सरकार के खिलाफ एकजुट जनमत का परिणाम बताया।
राज ठाकरे ने कहा, “यह देर से लिया गया समझदारी का फैसला नहीं है। यह सिर्फ मराठी जनता के प्रचंड विरोध के कारण लिया गया निर्णय है। सरकार पर किसका दबाव था और हिंदी को इतनी ज़ोर से क्यों लागू किया जा रहा था, यह आज भी रहस्य बना हुआ है।”
उन्होंने बताया कि अप्रैल 2025 से इस मुद्दे पर MNS ने आवाज उठाई थी और गैर-राजनीतिक मोर्चा निकालने का ऐलान किया गया था। इसके बाद अनेक राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने भी विरोध करना शुरू किया।
“अगर यह मोर्चा निकला होता, तो यह संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की याद दिलाने वाला होता,” उन्होंने कहा।
हालांकि उन्होंने इस बात पर चेतावनी भी दी कि सरकार ने एक नई समिति बना दी है, लेकिन “अब कोई रिपोर्ट स्वीकार नहीं होगी। अगर फिर से हिंदी को थोपने की कोशिश हुई, तो जनता यह समिति महाराष्ट्र में काम नहीं करने देगी।”
अंत में राज ठाकरे ने कहा, “मराठी जनता ने जिस तरह इस मुद्दे पर एकता दिखाई, उसे बनाए रखना चाहिए। यही एकता हमारी भाषा को ज्ञान, अधिकार और वैश्विक संवाद की भाषा बनाएगी।”
मराठी जनमानस को बधाई!
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