Maharashtra Politics News:उद्धव ठाकरे ने महा विकास आघाड़ी (MVA) की रणनीति पर कड़े सवाल उठाते हुए गठबंधन में देरी, भ्रम और बढ़ते अहंकार को चुनावी नुकसान की वजह बताया। अगर जल्द पारदर्शिता नहीं आई, तो गठबंधन का कोई औचित्य नहीं बचेगा, उन्होंने चेताया।
मुंबई, 20 जुलाई: शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर महा विकास आघाड़ी (MVA) की रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सामना को दिए एक इंटरव्यू में ठाकरे ने गठबंधन के भीतर बढ़ती असहमति, देरी, और “इगो” की राजनीति को घातक बताया।
🗣 “अगर फिर से वही गलतियां दोहराई गईं, तो इस गठबंधन का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।” — उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे ने लोकसभा चुनाव के अनुभवों की चर्चा करते हुए कहा कि सीट बंटवारे में देर और आपसी समन्वय की कमी से मतदाता भ्रमित हुए, जिससे चुनावी नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को कई ऐसी सीटें छोड़नी पड़ीं जहां वे पहले जीतते आए थे — सिर्फ गठबंधन धर्म निभाने के लिए।
🔻 ठाकरे की मुख्य आपत्तियाँ:
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सीट बंटवारे में देरी और असमंजस
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गठबंधन में बढ़ता “इगो” और व्यक्तिगत एजेंडा
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जनता के बीच गलत संदेश
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ईवीएम और फर्जी वोटर लिस्ट पर सवाल
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“बहन योजना” जैसी स्कीमों को गुमराह करने वाला बताया
🔄 गठबंधन की जड़ें हिल रहीं?
ठाकरे ने स्पष्ट संकेत दिए कि यदि MVA में फिर से पारदर्शिता और समयबद्ध निर्णय नहीं हुए, तो गठबंधन का औचित्य खत्म हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि “हमारी जड़ें मराठी माटी में बहुत गहरी हैं।”
🚨 MNS को लेकर उठते सवाल:
ठाकरे द्वारा राज ठाकरे और MNS के साथ समीकरण को लेकर भी चर्चाएँ तेज हैं। हालांकि, MNS का मराठा झुकाव शिवसेना (UBT) की बहुभाषिक पहचान को चुनौती दे सकता है।
उद्धव ठाकरे का बयान आने वाले विधानसभा चुनावों में MVA के लिए एक चेतावनी की तरह है। समय रहते फैसले नहीं हुए तो गठबंधन का भविष्य संकट में पड़ सकता है।
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