Vasai Virar and Mumbai Local: वसई-विरार शहर, मुंबई से सटा एक तेजी से बढ़ता इलाका है। यहां नए आवासीय प्रोजेक्ट, चॉलें, विकास, और रोजगार के अवसरों की वजह से बड़ी संख्या में लोग बस रहे हैं। महानगरपालिका के अनुसार, शहर की जनसंख्या लगभग 25 लाख है, लेकिन वास्तव में यह आंकड़ा 40 लाख से भी ऊपर पहुंच चुका है।
– बढ़ती जनसंख्या बनी चुनौती
शहर की जनसंख्या में इस तेज़ बढ़ोतरी के कारण बुनियादी सुविधाएं जैसे सड़क, पानी, बिजली और यातायात पर दबाव बढ़ गया है। खासकर लोकल ट्रेनों से सफर करने वाले यात्रियों को रोज़ाना भारी भीड़ का सामना करना पड़ता है।
– विरार से चर्चगेट तक सफर खतरनाक
विरार से चर्चगेट के बीच लोकल ट्रेन में सफर अब बहुत ही जोखिम भरा हो गया है। मुंबई में 2342 लोकल ट्रेन्स प्रतिदिन चलती है जिसमे 75 लाख से ज्यादा यात्री एक दिन में यात्रा करते है।लोकल ट्रेनों में यात्रा करते समय रोजाना औसतन सात लोगों की मौत होती है,जहा बीते 18 महीनो में मीरारोड से वैतरणा केबीच 290 मौते दर्ज की गयी, वही पिछले 10 सालो में अबतक 51000 से ज्यादा यात्री लोकल ट्रैन यात्रा में जान खो चुके है। यात्रियों को चलती ट्रेन में चढ़ना-उतरना पड़ता है, कई बार लोगों को दरवाज़ों पर लटक कर सफर करना पड़ता है। इससे गिरने, घायल होने और मौत तक के मामल प्रतिदिन सामने आते है।
इतनी बड़ी संख्या में लोगों द्वारा रोज़ सफर किए जाने के बावजूद, भीड़ को नियंत्रित करने या ट्रेनों की संख्या बढ़ाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। यात्रियों का कहना है कि प्लेटफॉर्म छोटे हैं, ट्रेनें समय पर नहीं आतीं और पुलिस की मौजूदगी बहुत कम रहती है।
छात्रों और कामकाजी महिलाओं को भी भारी भीड़ के कारण स्कूल, कॉलेज और ऑफिस पहुंचने में काफी कठिनाई होती है। महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं और कई बार अभद्रता और धक्का-मुक्की की शिकार भी होती हैं।
क्या है ज़रूरत?
शहर की इस बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए रेलवे और प्रशासन को जल्द ही ठोस कदम उठाने होंगे, जैसे –
लोकल ट्रेनों की संख्या बढ़ाना,अतिरिक्त डिब्बे जोड़ना,प्लेटफॉर्म और स्टेशन की सुविधाएं बढ़ाना,महिला यात्रियों के लिए विशेष डिब्बे और सुरक्षा व्यवस्था,तेज रफ्तार लोकल सेवाओं की शुरुआत।
वसई-विरार की तेज़ी से बढ़ती आबादी शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। अगर जल्द ही रेलवे व्यवस्था को बेहतर नहीं किया गया, तो आने वाले समय में यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। प्रशासन और रेलवे को मिलकर ठोस योजना बनानी चाहिए ताकि यात्रियों का सफर सुरक्षित और सुविधाजनक हो सके।