वसई, 12 जुलाई: करीब 35 लाख की आबादी वाला वसई-विरार शहर जो लगभग 4000 करोड़ रुपये के बजट के साथ संचालित होता है। इसके बावजूद शहर के मनपा अस्पतालों की हालत बेहद चिंताजनक है।
हाल ही में सामने आई RTI रिपोर्ट के मुताबिक इतनी बड़ी आबादी वाले शहर में मात्र 23,000 महिलाओं की डिलीवरी और मात्र 600 मरीजों की सर्जरी हो पायी है। इसका मुख्य कारण है अस्पतालों में जरूरी सुविधाओं की भारी कमी। देखा अजय तो मनपा अस्पतालों में सिर्फ बुखार और सर्दी-जुकाम जैसी मामूली बीमारियों का ही इलाज संभव है। किसी भी गंभीर बीमारी या बड़े मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में अस्पताल पूरी तरह फेल नजर आते हैं।
आज दोपहर मेट्रो सिटी समाचार की टीम ने वसई-विरार महानगरपालिका के विजय नगर, नागिंदास पाडा स्थित मनपा अस्पताल का दौरा किया। दौरे के दौरान यह पाया गया कि अस्पताल की प्रमुख अधिकारी दो दिनों से छुट्टी पर हैं। उनकी अनुपस्थिति में वहां मौजूद सहायक अधिकारी रमेश प्रजापति से संवाद करने का प्रयास किया गया, परंतु उन्होंने बातचीत करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें पत्रकारों या बाहरी लोगों से बात करने की अनुमति नहीं है।
अस्पताल परिसर में जब एक कर्मचारी से जानकारी ली गई,तो उसने बताया कि एमआरआई और सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। साथ ही एक्स-रे और सोनोग्राफी मशीनें है पर फिलहाल काम नहीं कर रही थीं। फिलहाल सिर्फ ब्लड टेस्ट की सुविधा चालू थी।
अस्पताल परिसर साफ-सुथरा तो जरूर था, लेकिन मरीजों की सेवा के लिए खड़ी एम्बुलेंस की हालत काफी खराब प्रतीत हुई। इस बाबत सवाल करने पर अस्पताल की डॉक्टर और नर्सें भी बातचीत करने में असहज और झिझक महसूस कर रही थीं। कुछ स्टाफ तो जानबूझकर खुद को व्यस्त दिखा रहे थे। हमारी उपस्थिति पर संदेह करते हुए उन्होंने बार-बार यह पूछा कि, “क्या हम कोई रिकॉर्डिंग कर रहे हैं,” जिससे अस्पताल की कार्यप्रणाली को लेकर हमारी शंका और भी गहरी हो गई।
नालासोपारा के इस अस्पताल में मरीजों की मौजूदगी तो देखी गई, लेकिन सेवाएं काफी धीमी और विलंबित थीं। मरीजों की लंबी कतारें लगी थीं और इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा था।
इस निरीक्षण से यह स्पष्ट होता है कि अस्पताल में चिकित्सा सेवाओं की हालत गंभीर चिंता का विषय है। मशीनों की अनुपलब्धता, जवाबदेही का अभाव और स्टाफ का असहयोगपूर्ण रवैया मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं को प्रभावित कर रहा है। वसई-विरार मनपा प्रशासन को इस विषय में जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
मशीनें बंद, सेवाएं ठप
अस्पताल के एक कर्मचारी ने जानकारी दी कि MRI और CT स्कैन जैसी ज़रूरी सुविधाएं उपलब्ध ही नहीं हैं। एक्स-रे और सोनोग्राफी मशीनें हैं लेकिन काम नहीं कर रही थीं। केवल ब्लड टेस्ट की सुविधा चालू पाई गई।
एम्बुलेंस और स्टाफ का हाल
भले ही परिसर साफ-सुथरा था, लेकिन एम्बुलेंस जर्जर स्थिति में मिली। डॉक्टर और नर्सें भी संवाद में डर और झिझक दिखा रही थीं। कुछ स्टाफ तो कैमरा देखकर खुद को जानबूझकर व्यस्त दिखा रहे थे। कई बार हमारी उपस्थिति पर संदेह जताते हुए यह पूछा गया कि क्या रिकॉर्डिंग हो रही है।
मरीजों को हो रही है परेशानी
अस्पताल में बड़ी संख्या में मरीज मौजूद थे, लेकिन सेवाएं इतनी धीमी थीं कि लंबी कतारें लगी थीं और इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा था। गंभीर बीमारियों के मरीजों के लिए यहां कोई इंतजाम नहीं दिखा।
इस निरीक्षण से यह साफ है कि वसई-विरार के मनपा अस्पताल सिर्फ दिखावे के लिए चल रहे हैं। न मशीनें चालू हैं, न स्टाफ संवाद में सहयोगी है और न ही मरीजों को समय पर इलाज मिल पा रहा है। यह स्थिति प्रशासन की गंभीर विफलता को उजागर करती है। मनपा प्रशासन को जल्द से जल्द एक्शन लेना चाहिए ताकि शहर के नागरिकों को चिकित्सा के अधिकार से वंचित न रहना पड़े।
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