महाराष्ट्रदेश

Farmer Protest 2024 : भारत रत्न देने का दांव फेल, 2 साल बाद फिर सड़कों पर किसान !

बीते साल 2021-22 में किसान अपने लंबे आंदोलन (Farmer Protest) के बाद मोदी सरकार से कृषि क़ानूनों को निरस्त करवाने में कामयाब रहे थे. अब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किसान एक बार फिर अपनी मांगों के लिए सड़क पर उतर आए हैं.

मोदी सरकार ने हाल ही में किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह और एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया. लेकिन शायद सरकार का ये दाँव फेल हो गया, क्योंकि किसान यूनियन ने मोदी सरकार के खिलाफ एक बार फिर आंदोलन पर अडिग हैं. नवंबर 2021 में किसानों ने आंदोलन खत्म किया था, लेकिन दो साल बाद वह फिर सड़कों पर हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने 13 फरवरी को दिल्ली कूच का ऐलान किया है. किसान यूनियन ने ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया है. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लाखों किसानों के दिल्ली की ओर कूच करने की अटकलें हैं.वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को एक दिन के लिए ग्रामीण भारत बंद का आह्वान भी किया है.

क्यों फिर आंदोलित हो रहे हैं किसान?

ये पहली बार नहीं है जब किसान आंदोलन कर रहे हैं. दो साल पहले दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन हुआ था तब मोदी सरकार को किसानों के आगे झुकना पड़ा था और संसद से पारित तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करना पड़ा था. किसानों का डर था कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को खत्म कर सकते हैं और खेती- किसानी कॉर्पोरेट कंपनियों के हाथों में सौंप जा सकते हैं. हालांकि, कृषि कानूनों को लेकर किसानों को बड़ी कुर्बानी देनी पड़ी. किसान करीब एक साल तक लगातार धरना प्रदर्शन करते रहे. किसानों को दावा है कि इस आंदोलन के दौरान 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो गई, हालांकि, सरकार और गैर सरकारी सतह पर इन दावों को अहमियत नहीं मिली. दो साल पहले सरकार ने न सिर्फ कानूनों को रद्द कर दिया, बल्कि एमएसपी पर गारंटी देने का वादा किया. इसके बाद किसानों ने आंदोलन वापस ले लिया था. लेकिन अब किसानों का कहना है कि सरकार ने एमएसपी को लेकर अपने वादे पूरे नहीं किए.

क्या है किसानों की मांग?

2021 के आंदोलन की तरह ही इस बार भी अपनी कई मांगों के लिए किसान विरोध प्रदर्शन के लिए उतर रहे हैं. खास तौर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर कानून बनाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाना उनकी सबसे बड़ी मांग है.

संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि वह केंद्र सरकार को सिर्फ उनके दो साल पहले किए गए वादों को याद दिलाना चाहते हैं जो किसानों से आंदोलन वापस लेने की अपील करते हुए सरकार ने किए थे. वो वादे अब तक पूरे नहीं हुए हैं. सरकार ने एमएसपी पर गारंटी का वादा किया था. किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की बात कही थी. 2021 में लखीमपुर खीरी में कृषि क़ानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे चार सिख किसानों को कथित तौर पर गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गाड़ी ने कुचल दिया था. किसान सरकार से उस घटना में मारे गए लोगों के परिवार को नौकरी और दोषियों को सजा दिलाने की मांग कर रहे हैं.

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, “सरकार ने सबसे बड़ा वादा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक किसानों को फसल के दाम देने का वादा किया था. सरकार ने एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित तो कर दिया लेकिन उनकी रिपोर्ट को लागू नहीं कर रही. इसके अलावा किसानों को प्रदूषण कानून से मुक्त रखने का वादा किया था. लेकिन कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया. आपको बता दें, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में किसानों को उनकी फसल की लागत से डेढ़ गुना कीमत देने की सिफारिश की गई है.

किसानों के “दिल्ली चलो” मार्च पर राजनीति

दिल्ली कूच के आह्वान पर किसानों को विपक्ष का साथ मिल रहा है. विपक्ष सरकार पर अन्नदाता को रोकने का आरोप लगा रहा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी मोदी सरकार पर किसानों को ठगने का आरोप लगाया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ’10 सालों से दिन रात झूठ की खेती करने वाले मोदी ने किसानों को सिर्फ ठगा है. दो गुनी आमदनी का वादा कर मोदी ने अन्नदाताओं को MSP के लिए तरसाया है.’राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘किसान महंगाई तले दबे हैं. फसलों का सही दाम न मिलने के कारण उनके कर्जे 60 फीसदी बढ़ गए. इसका नतीजा ये हुआ कि लगभग 30 किसानों ने हर दिन अपनी जान गंवाई. जिसकी USP धोखा देना है, वो MSP के नाम पर किसानों के साथ सिर्फ राजनीति कर सकता है, न्याय नहीं. किसानों की राह में कीलें बिछाने वाले भरोसे के लायक नहीं.’

किसानों के दिल्ली कूच पर भाजपा शासित राज्य हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा है कि राज्य के लोगों की सुरक्षा करने और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ भी करेंगे. मोदी सरकार में कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है और प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत के जरिए समाधान निकालने का आग्रह किया है.किसान डॉ एमएस स्वामीनाथन आयोग द्वारा प्रस्तावित फ़ॉर्मूले का पालन करते हुए सभी फ़सलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित करने के लिए एक कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।

दिलचस्प बात यह है कि किसानो के मसीहा कहे जाने वाले दिवंगत एम. एस. स्वामीनाथन जिनको मोदी सरकार ने हाल ही में भारत रत्न देने का ऐलान किया है, उनकी पुत्री, अर्थशास्त्री मधुरा स्वामीनाथन ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में दिए एक भाषण के दौरान केंद्र से किसानों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार न करने का आग्रह किया। “वे किसान हैं, अपराधी नहीं। हमें अपने अन्नदाताओं से बात करने की जरूरत है. हमें समाधान ढूंढना होगा. भविष्य में हम जो भी रणनीति बनाएं, उसमें हमें किसानों को साथ लेना होगा।’

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