India’s Employment Report-2024:’देश में 83% युवा आबादी बेरोजगार’,इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन(ILO) ने जारी किए आंकड़ें
India’s Employment Report-2024
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) और इंस्टिट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट(IHD) ने मिलकर देश से जुड़ी बेरोजगारी पर एक आंकड़ा जारी किया है। एक तरफ़ जहाँ मोदी सरकार देशवासियों को थोक में “मोदी गारंटी” दे रही है, वहीं दूसरी तरफ इस रिपोर्ट के मुताबिक,भारत के 83 फीसदी युवा बेरोजगार हैं।
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन(ILO) और इंस्टिट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट (IHD) ने आज साझा रूप से एक आकंड़े जारी किए जिसमें भारत की एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024 भी जारी की गई। इस रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में, भारत की कुल बेरोजगार आबादी का 83% थी। जानकारी दे दें कि चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने मंगलवार को रिपोर्ट जारी की।
शिक्षित युवाओं के बीच तेजी से बढ़ रही है बेरोजगारी
इस रिपोर्ट की मानें तो, सभी बेरोजगार लोगों में शिक्षित युवाओं की हिस्सेदारी साल 2000 में 54.2% थी, जो बढ़कर 2022 में 65.7% हो गई है। इसके अलावा, वर्तमान में शिक्षित लेकिन बेरोजगारी युवाओं में पुरुषों (62.2%) की तुलना में महिलाएं (76.7%) अधिक हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “इससे पता चलता है कि भारत में बेरोजगारी की समस्या युवाओं, विशेषकर शहरी क्षेत्रों के शिक्षित लोगों के बीच तेजी से पैदा हो गई है।”
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि 2000 से 2019 तक युवाओं के रोजगार और अल्परोजगार में वृद्धि देखी गई, लेकिन कोविड-19 महामारी के वर्षों के दौरान इसमें गिरावट आई। 2000 में, कुल नियोजित युवा आबादी का आधा हिस्सा स्व-रोज़गार था, 13% के पास नियमित नौकरियाँ थीं, जबकि शेष 37% के पास आकस्मिक नौकरियाँ थीं। 2012, 2019 और 2022 के लिए संबंधित आंकड़े 46%, 21%, 33% थे; 42%, 32%, 26%; और क्रमशः 47%, 28%, 25% हैं।
अगले दशक तक लगभग 70-80 लाख युवा और जुड़ेंगे
इस अध्यन में आगे बताया है कि भारत अगले दशक के दौरान अपने लेबर वर्कफोर्स में 7-8 मिलियन (70-80 लाख) युवाओं को जोड़ेगा, और आगे के लिए 5 मुख्य की पॉलिसी सेक्टर बताए गए हैं: 1. रोजगार सृजन को बढ़ावा देना; 2. रोजगार की क्वालिटी में सुधार; 3. श्रम बाज़ार में असमानताओं को संबोधित करना; 4. सक्रिय श्रम बाजार के स्किल और पॉलिसी दोनों को मजबूत करना; 5. लेबर मार्केट पैटर्न और युवा रोजगार पर ज्ञान की कमी को पाटना।
केंद्र सरकार हर चीज में हस्तक्षेप नहीं कर सकती?
रिपोर्ट जारी करते हुए सीईए नागेश्वरन ने कहा कि यह सोचना ‘सही नहीं’ है कि सरकार को ‘हर सामाजिक या आर्थिक समस्या’ के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। “हमें इस मानसिकता से बाहर निकलने की जरूरत है। सामान्य दुनिया में, यह कॉमर्शियल सेक्टर है,और जो लोग फायदे चाहते हैं,उन्हें भर्ती करने की जरूरत है”।
विपक्ष ने सरकार पर बोला हमला
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई विपक्षी नेताओं ने रिपोर्ट को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला। मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर लिखा कि हमारे युवा मोदी सरकार की दयनीय उदासीनता का खामियाजा भुगत रहे हैं, क्योंकि लगातार बढ़ती बेरोजगारी ने उनका भविष्य बर्बाद कर दिया है। ILO और IHD रिपोर्ट निर्णायक रूप से कहती है कि भारत में बेरोजगारी की समस्या गंभीर है। वे रूढ़िवादी हैं, हम बेरोज़गारी के ‘टिक टिक बम’ पर बैठे हैं!
खरगे ने आगे कहा कि लेकिन मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार यह कहकर प्रिय नेता का बचाव करते हैं कि “सरकार बेरोजगारी जैसी सभी सामाजिक, आर्थिक समस्याओं का समाधान नहीं कर सकती”। खरगे ने आगे रिपोर्ट का भी हवाला दिया और लिखा कि 83% बेरोजगार भारतीय युवा हैं। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 17.5% युवा नियमित काम में लगे हुए हैं। उद्योग और विनिर्माण क्षेत्र में कार्यरत लोगों की हिस्सेदारी 2012 से कुल कार्यबल के 26% पर ही बनी हुई है और आर्थिक गतिविधियों में शामिल युवाओं का प्रतिशत 2012 में 42% से घटकर 2022 तक 37% हो गया। इसलिए, मोदी सरकार के तहत नौकरियों की भारी कमी के कारण कांग्रेस-यूपीए सरकार की तुलना में कम युवा अब आर्थिक गतिविधियों में शामिल हैं। वही, 2012 की तुलना में मोदी सरकार में युवा बेरोजगारी तीन गुना हो गई है।