जव्हार के आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए न्याय अब करीब है। नए न्यायालय भवन के साथ न्याय प्रक्रिया तेज़, पारदर्शी और सुलभ होगी, जिससे उनके संघर्षों को मिलेगी नई उम्मीद।
पालघर, 10 अगस्त: पालघर जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्र जव्हार में आज एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया। नए दिवाणी और फौजदारी न्यायालय भवन का उद्घाटन हुआ, जिससे यहां के हजारों ग्रामीण और आदिवासी लोगों को अब तेज़, पारदर्शी और स्थानीय स्तर पर न्याय मिल सकेगा।
👨⚖️ उद्घाटन में न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और मंजुषा देशपांडे की उपस्थिति
मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी ने कहा, “यह भवन स्थानीय जनता को न्याय प्रक्रिया के करीब लाएगा और समय, पैसा और श्रम की बचत करेगा।”
वहीं, न्यायमूर्ति मंजुषा देशपांडे ने कहा कि यह न्याय की दिशा में क्रांतिकारी पहल है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो पहले पालघर, तलासरी या नाशिक जाकर न्याय की उम्मीद लगाए बैठे रहते थे।
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💻 डिजिटल न्याय की ओर कदम
इस न्यायालय भवन में शामिल होंगी आधुनिक सुविधाएँ:
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ई-कोर्ट सेवाएं
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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग
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ऑनलाइन केस पंजीकरण
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दिव्यांग और बुजुर्गों के लिए सुलभ प्रवेश
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पर्यावरण-अनुकूल भवन डिजाइन
🏛️ सिर्फ इमारत नहीं, न्याय की नई सोच
न्यायमूर्ति देशपांडे ने कहा कि यह भवन न्यायपालिका की संवेदनशीलता और समर्पण को दर्शाता है। इससे न केवल मामलों का त्वरित निपटारा होगा, बल्कि आम नागरिक का न्याय प्रणाली पर विश्वास भी और मजबूत होगा।
📣 जवाबदेही और उम्मीद की नई सुबह
ठाणे जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीनिवास अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि अब न्याय सबके लिए सुलभ होगा। यह न्यायालय गांव के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच बनाएगा और उनकी लड़ाई को गति देगा।
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