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RAF की तैनाती
स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए मुंबई पुलिस ने रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) की टुकड़ियाँ तैनात कर दी हैं। RAF आमतौर पर भीड़ नियंत्रण और आकस्मिक परिस्थितियों में तैनात की जाती है। बीएमसी मुख्यालय और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CST) जैसे संवेदनशील और भीड़भाड़ वाले इलाकों के पास RAF की मौजूदगी से सुरक्षा घेरा और मजबूत कर दिया गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उनकी प्राथमिकता आंदोलन को शांतिपूर्ण ढंग से संभालना है।
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आंदोलनकारियों को हटाने की कोशिश
पुलिस प्रशासन ने आंदोलनकारियों से कई बार अपील की कि वे आज़ाद मैदान खाली करें। हालांकि आंदोलनकारी मैदान छोड़ने से साफ इनकार कर रहे हैं। इस वजह से प्रशासन ने RAF की मदद से उन्हें हटाने की रणनीति बनाई है। अधिकारियों का कहना है कि कोशिश होगी कि किसी भी प्रकार का टकराव न हो और आंदोलन शांति से समाप्त किया जाए।
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यातायात और जनजीवन पर असर
बीएमसी और सीएसटी के आसपास बड़ी संख्या में आंदोलनकारियों के जमा होने से यातायात व्यवस्था पर सीधा असर पड़ा है। वाहन रेंग-रेंग कर चल रहे हैं और यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। बस और टैक्सी सेवाओं पर भी दबाव बढ़ा है। रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को चढ़ने-उतरने में कठिनाई हो रही है। आम नागरिकों का कहना है कि रोज़मर्रा की गतिविधियों में बाधा आ रही है और जल्दी समाधान निकालना बेहद ज़रूरी है।
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प्रशासन की रणनीति
मुंबई पुलिस और RAF ने इलाके को चारों तरफ से घेरकर सुरक्षा घेरा बना दिया है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों से दूर रहें और शांति बनाए रखें। पुलिस का कहना है कि आंदोलनकारियों की बातें सुनी जा रही हैं लेकिन सार्वजनिक व्यवस्था और आम लोगों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
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आंदोलन की पृष्ठभूमि
मराठा आरक्षण की मांग महाराष्ट्र में लंबे समय से चर्चा और संघर्ष का विषय रही है। आंदोलनकारियों का आरोप है कि सरकार ने अब तक ठोस कदम नहीं उठाए हैं, जबकि समाज के युवाओं को शिक्षा और नौकरी में आरक्षण की सख्त ज़रूरत है। इसीलिए उन्होंने मुंबई जैसे संवेदनशील और प्रतीकात्मक स्थान को आंदोलन का केंद्र बनाया है।
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आगे की स्थिति
प्रशासन का कहना है कि बातचीत का रास्ता हमेशा खुला है। अगर स्थिति बिगड़ती है तो RAF और पुलिस मिलकर सख्त कदम उठाने के लिए तैयार हैं। आंदोलनकारी भी शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखने की बात कह रहे हैं। अब पूरे राज्य की नज़रें इस बात पर हैं कि सरकार और आंदोलनकारी किस तरह समाधान की ओर कदम बढ़ाते हैं।
यह स्पष्ट है कि मुंबई का आज़ाद मैदान सिर्फ शहर ही नहीं बल्कि पूरे महाराष्ट्र का ध्यान खींच रहा है। अब जिम्मेदारी आंदोलनकारियों और सरकार दोनों की है कि जनता की समस्याओं को कम किया जाए और जल्द से जल्द एक ठोस हल निकाला जाए।
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