वो 60 साल की एक बीमार मां थी… नाम है यशोदा गायकवाड़। सालों से घर में सबके लिए खाना बनाती रही, पोते को गोद में खिलाया, तकलीफ में भी अपनों के लिए मुस्कुराई। लेकिन जब शरीर ने साथ छोड़ना शुरू किया, जब चेहरे की त्वचा पर बीमारी दिखने लगी… तब जिनके लिए उसने पूरी ज़िंदगी लगाई, उन्होंने ही उसका साथ छोड़ दिया। इलाज का बहाना बना कर पोता उसे एक रिक्शे में बिठाता है, घर से दूर, मुंबई की आरे कॉलोनी की एक सुनसान जेटी के पास लाता है… और फिर कचरे के ढेर में फेंक कर भाग जाता है।
वो मां वहीं पड़ी रही — बदबू, गंदगी, और अजनबियों के बीच… न मदद थी, न ममता, सिर्फ़ इंतज़ार — शायद कोई आए और पूछे, “क्या तुम ठीक हो?” लेकिन कोई नहीं आया। दो अस्पतालों ने भर्ती करने से भी मना कर दिया, और जिस पोते ने कभी उसके सिर पर हाथ रखा होगा, उसने ही उसे ‘बोझ’ समझ कर फेंक दिया।
स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर गहरी नाराज़गी है। लोग यह सोचकर सिहर उठे कि कैसे कोई पोता अपनी दादी को मरने के लिए छोड़ सकता है, जिनकी गोद में उसने बचपन बिताया होगा।
क्या हमारी समाजिक संवेदनाएं इतनी मर चुकी हैं? क्या बीमार होना अब अपराध है?
📍 मुंबई | 26 जून 2025 : मुंबई के आरे कॉलोनी से एक बेहद चौंकाने वाला और शर्मनाक मामला सामने आया है, जहां 60 वर्षीय यशोदा गायकवाड़ नाम की बुजुर्ग महिला को उनके अपने ही परिवार वालों ने बीमारी के चलते घर से निकाल कर कचरे के ढेर में फेंक दिया।
📌 क्या है मामला?
शनिवार सुबह आरे कॉलोनी के यूनिट नंबर 32 के पास कुछ स्थानीय लोगों ने एक बुजुर्ग महिला को कचरे में पड़ा देखा। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और महिला को विले पारले के कूपर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
महिला ने बताया कि वह मलाड में अपने पोते के साथ रहती थीं, जिसने इलाज का बहाना बना कर उन्हें रिक्शा से लाकर कचरे में फेंक दिया।
🔍 जांच में हुआ खुलासा
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महिला के परिजनों ने दावा किया कि वह खुद घर से निकल गई थीं।
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पुलिस को शक होने पर 50 से ज्यादा CCTV फुटेज की जांच की गई।
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सच्चाई सामने आई कि पोते, देवर और रिक्शा चालक ने मिलकर महिला को जानबूझकर फेंका था।
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महिला स्किन की गंभीर बीमारी से पीड़ित थी, जिससे घरवाले परेशान थे।
👮 पुलिस की कार्रवाई
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आरे पुलिस स्टेशन ने तीनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया है।
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पूछताछ में पोते ने स्वीकार किया कि बीमारी के कारण महिला को छोड़ने का फैसला लिया गया।
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घटना को इंसानियत के खिलाफ बताया जा रहा है और इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है।
🙏 मानवता शर्मसार
यह मामला न केवल एक अपराध है बल्कि हमारी सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों पर भी सवाल उठाता है। स्किन डिज़ीज़ जैसी तकलीफ को लेकर इस तरह की निर्मम हरकत ने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया है।