मुंबई-गुजरात एनएच-48: निर्माण की धीमी रफ्तार और अव्यवस्था ने बढ़ाई दुर्घटनाएँ, जनता बेहाल
पालघर, 31 जुलाई: देश के सात राज्यों और औद्योगिक नगरों को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग NH-48 इन दिनों यात्रियों के लिए मुश्किल और खतरों से भरा हुआ सफर बन गया है। मुंबई के मीरा भायंदर से ले कर अच्छाड (गुजरात सीमा) तक सड़क की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि जनता रोजाना ट्रैफिक जाम, गहरे गड्ढों और अव्यवस्थित यातायात का शिकार हो रही है।
121 किलोमीटर के व्हाइट टॉपिंग प्रोजेक्ट के तहत निर्माण कार्य दहिसर से अच्छाड तक तेज गति से होना था, लेकिन रफ्तार बेहद धीमी है और चार लेन में सिमटी यह सड़क बड़े वाहनों, एम्बुलेंस तथा आम वाहनों के लिए जानलेवा बन गई है। विरार से घोड़बंदर तक, नायगांव फाटा, साकवार, खनीवाडे, चारोटी और चिंचोटी जैसे रास्तों पर गहरे गड्ढों के कारण वाहन चालक डर के साए में यात्रा कर रहे हैं। मानसून में जलभराव और जल निकासी की कमी ने स्थिति को और विकराल बना दिया है।
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यात्रियों के लिए मुफ़ीद नहीं बची सड़क
कई जगह अतिक्रमण, अवैध गैराज और बस स्टैंडों की वजह से सर्विस रोड भी यात्री के लिए मुफीद नहीं बची। ट्रैफिक जाम का आलम यह है कि कई बार एम्बुलेंस और जरूरी वाहनों को भी घंटों जाम में फंसे रहना पड़ता है, जिससे मरीजों की जान खतरे में पड़ जाती है।
मुख्य सड़क पर मरम्मत और बजट की घोषणाएं तो बार-बार होती रही हैं, लेकिन जमीनी सच्चाई अभी भी बेहद निराशाजनक है। जनता प्रशासनिक लापरवाही, निर्माण में अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकार हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक जवाबदेही तय नहीं होती और गुणवत्ता पूर्ण समयबद्ध मरम्मत नहीं होती, तब तक यह राजमार्ग “मौत का फंदा” ही बना रहेगा।
लापरवाही, एक नजर में. .
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दहिसर से अच्छाड तक 121 किमी पर निर्माण अधूरा, मुख्य लेन घटकर सिर्फ चार रह गई।
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विरार-घोड़बंदर, नायगांव फाटा, साकवार, खनीवाडे, चारोटी, चिंचोटी क्षेत्र में घातक गड्ढे और जलभराव।
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अतिक्रमण और अवैध प्रतिष्ठानों के कारण सर्विस रोड भी बाधित।
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एम्बुलेंस व जरूरी सेवा वाहन घंटों जाम में फंसते हैं, हादसे और मौत का ख़तरा बढ़ा।
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जनता से अपील: यात्रा से पहले ट्रैफिक अपडेट लें, सतर्क रहें, और खतरनाक स्थान NHAI को रिपोर्ट करें।
आखिर कब तक प्रशासन व ठेकेदार विकास के नाम पर जनता की जान से खिलवाड़ करेंगे? जिम्मेदारी और जवाबदेही तय होना अब अनिवार्य है।
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