गणेशोत्सव पर राज ठाकरे ने भाई उद्धव ठाकरे को शिवतीर्थ पर आमंत्रित किया है। यह पहली बार होगा जब दोनों भाई सार्वजनिक रूप से साथ नजर आएंगे। इस मुलाकात के पारिवारिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर गहरे निहितार्थ हैं।
मुंबई, 25 अगस्त: गणेशोत्सव के शुभ अवसर पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे को अपने निवास “शिवतीर्थ” पर आमंत्रित किया है। यह पहला मौका होगा जब शिवसेना से अलग होने के बाद उद्धव ठाकरे शिवतीर्थ जाएंगे। इससे पहले, सार्वजनिक जीवन में दोनों भाइयों की दूरी बनी रही है। राज ठाकरे ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से फोन कर आमंत्रण दिया, जिससे इस मुलाकात का पारिवारिक महत्व और अधिक बढ़ गया है। ठाकरे परिवार की यह संभावित एकजुटता गणेशोत्सव को एक ऐतिहासिक अवसर में बदल सकती है।
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पारिवारिक भावनाओं से जुड़ी राजनीतिक रणनीति
हाल ही में राज ठाकरे ने मातोश्री जाकर उद्धव ठाकरे को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी थीं, जो वर्षों में पहला ऐसा व्यक्तिगत संपर्क था। उस मुलाकात में बालासाहेब ठाकरे की स्मृतियों का उल्लेख कर दोनों भाइयों के बीच भावनात्मक जुड़ाव स्पष्ट हुआ। अब गणेशोत्सव पर मिलने की पहल को केवल पारिवारिक ही नहीं, बल्कि राजनीतिक समीकरणों की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मनसे नेता अमित ठाकरे ने इसे “सरप्राइज विजिट” बताते हुए स्पष्ट किया कि यह सिर्फ पारिवारिक स्नेह नहीं, बल्कि एक संभावित राजनीतिक गठबंधन का संकेत भी हो सकता है।
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एकजुटता से वोटर फ्रॉड के खिलाफ चेतावनी
गणेशोत्सव आमंत्रण के साथ-साथ, दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से “मत चोरी” यानी वोटर पंजीकरण में संभावित गड़बड़ियों को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में मतदाता सूची की जांच करें और यह सुनिश्चित करें कि एक ही व्यक्ति का नाम दो बार दर्ज न हो। उद्धव ठाकरे ने तो यहां तक कहा कि अगर मतदाता सूची में गड़बड़ी हुई तो वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। राज ठाकरे ने भी मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता और सख्ती की मांग की है।
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आगामी चुनावों की पृष्ठभूमि में बढ़ती नजदीकियां
राज और उद्धव ठाकरे की यह नजदीकी महज एक पारिवारिक मेल-मिलाप नहीं, बल्कि आगामी बीएमसी और विधानसभा चुनावों की दिशा तय करने वाली राजनीतिक कवायद भी हो सकती है। शिवसेना और मनसे दोनों को इस समय नई रणनीति की जरूरत है, और परिवार की एकजुटता से एक मजबूत जनसंवाद स्थापित किया जा सकता है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि यदि दोनों भाई एक मंच पर आ जाते हैं, तो महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। गणेशोत्सव का यह निमंत्रण इसी संभावित गठजोड़ की शुरुआती दस्तक हो सकती है।
गणेशोत्सव पर शिवतीर्थ में होने वाली यह मुलाकात ठाकरे परिवार की नई शुरुआत का प्रतीक बन सकती है। पारिवारिक मेलजोल के साथ-साथ यह राजनीतिक भविष्य की रणनीति का एक हिस्सा भी साबित हो सकता है।
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