खराब खाना परोसे जाने पर भड़के शिवसेना विधायक संजय गायकवाड, कैंटीन स्टाफ से की मारपीट, वीडियो वायरल
मुंबई, 9 जुलाई — महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान मंगलवार रात मुंबई स्थित विधायक निवास में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया। शिवसेना (शिंदे गुट) के बुलढाणा से विधायक संजय गायकवाड ने खराब खाना परोसे जाने पर गुस्से में आकर कैंटीन स्टाफ के साथ मारपीट की। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिस पर जमकर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
तौलिया-बनियान में पहुंचे कैंटीन, शुरू कर दी हाथापाई
घटना के अनुसार, संजय गायकवाड ने रात में विधायक निवास की कैंटीन से खाना मंगवाया था। जैसे ही उन्होंने दाल का पहला निवाला लिया, उन्हें उसमें से सड़ी हुई बदबू आई और उल्टी जैसा महसूस हुआ। विधायक ने तत्काल कैंटीन स्टाफ को बुलाया और गुणवत्ता को लेकर तीखी नाराजगी जताई। इसके बाद वे तौलिया और बनियान में ही कैंटीन पहुंच गए और वहां मौजूद कैंटीन संचालक पर थप्पड़ और घूंसे बरसाने लगे।
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वायरल वीडियो में दिखी गुंडागर्दी
इस पूरी घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें विधायक गायकवाड को कैंटीन कर्मी के साथ हाथापाई करते हुए साफ देखा जा सकता है। मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, लेकिन गायकवाड का गुस्सा काबू में नहीं आया। यह दृश्य विधायक की गरिमा के बिल्कुल विपरीत माना जा रहा है और विपक्षी दलों ने इसे सत्ता के नशे में चूर ‘गुंडागर्दी’ बताया है।
विधायक ने दी सफाई, बताया क्यों फूटा गुस्सा
घटना के बाद सफाई देते हुए विधायक संजय गायकवाड ने कहा,
“मैंने खाना मंगवाया था। जैसे ही पहला निवाला खाया, लगा उसमें सड़ी हुई इमली डाली गई है। उल्टी जैसा होने लगा। ये पहली बार नहीं है, इससे पहले भी दो-तीन बार शिकायत की थी। ये लोग 15 दिन पुराना नॉनवेज परोसते हैं। अगर विधायक को ऐसा खाना परोसा जा रहा है तो आम जनता को क्या परोसा जाता होगा? जनता की सेहत से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकता।”
विधानसभा में उठाएंगे मामला
विधायक गायकवाड ने बताया कि वे इस विषय को बुधवार के विधानसभा सत्र में उठाएंगे और फूड डिपार्टमेंट से जांच की मांग करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कैंटीन में आम जनता भी आती है, ऐसे में खाने की गुणवत्ता से किसी की जान पर भी बन सकती है।
राजनीतिक हलकों में चर्चा, विपक्ष ने उठाए सवाल
इस घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में गर्माहट आ गई है। विपक्ष ने विधायक के बर्ताव को अलोकतांत्रिक बताते हुए कार्रवाई की मांग की है, वहीं शिंदे गुट की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
यह मामला अब सिर्फ खाने की गुणवत्ता का नहीं, बल्कि सत्ता में बैठे लोगों के बर्ताव और जिम्मेदारी पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।
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