महाराष्ट्र के ऐतिहासिक वसई किले का सागरी दरवाजा मूसलाधार बारिश के चलते ढह गया। यह दरवाजा चिमाजी अप्पा के पराक्रम और मराठों की वीरता का प्रतीक रहा है। किले प्रेमियों ने सुरक्षा और संरक्षण की मांग उठाई है।
वसई, 21 अगस्त: महाराष्ट्र का वसई भुईकोट किला केवल एक ऐतिहासिक धरोहर नहीं है, बल्कि मराठा वीरता और बलिदान का प्रतीक भी है। इस किले पर मराठों ने करीब 10,000 सैनिकों की शहादत देकर पुर्तगालियों की सत्ता को खत्म कर भगवा ध्वज फहराया था। चिमाजी अप्पा के नेतृत्व में यह विजय हासिल की गई थी। यही वसई किला आज एक और झटका सहन नहीं कर पाया। भारी बारिश के कारण किले का समुद्री प्रवेशद्वार, जिसे ‘सागरी दरवाजा’ कहा जाता है, अचानक गिर गया। यह दरवाजा न केवल किले का हिस्सा था, बल्कि समुद्र के रास्ते आने-जाने वाले लोगों के लिए एक प्रमुख प्रवेशद्वार भी रहा है।
वसई के पश्चिमी तट पर स्थित यह किला अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधीन है। हालांकि कुछ स्थानों पर मरम्मत और संरक्षण का काम किया जा रहा है, लेकिन संपूर्ण किले की स्थिति काफी जर्जर हो चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार उपेक्षा, रखरखाव की कमी और जलवायु परिवर्तन के चलते इस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं। बुधवार को हुई मूसलाधार बारिश के बाद किले का सागरी दरवाजा एकाएक गिर गया, जिससे सैकड़ों साल पुरानी संरचना को गहरा नुकसान पहुंचा है। यह दरवाजा मराठों की ऐतिहासिक विजय का मूक साक्षी रहा है, और इसका यूं गिर जाना इतिहासप्रेमियों के लिए बेहद पीड़ादायक है।
किले की सुरक्षा व्यवस्था भी चिंता का विषय बन चुकी है। स्थानीय इतिहास प्रेमियों और संरक्षण कार्यकर्ताओं का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में किले से कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक वस्तुएं, मूर्तियां और पत्थर की नक्काशी चोरी हो चुकी हैं। इस स्थिति को देखते हुए अब सागरी दरवाजे के बचे हुए हिस्सों की सुरक्षा को लेकर चिंता और अधिक बढ़ गई है। इतिहास प्रेमियों की मांग है कि संबंधित विभाग तुरंत इस दरवाजे के आसपास सुरक्षा बढ़ाए और इसे पूरी तरह से संरक्षित किया जाए, ताकि आगे किसी प्रकार की क्षति या चोरी को रोका जा सके।
ऐतिहासिक धरोहरों को केवल देखने और सराहने तक सीमित नहीं रखा जा सकता। उन्हें संरक्षित करना भी हमारी जिम्मेदारी है। वसई किले जैसे स्थापत्य चमत्कार, जो मराठा इतिहास की गौरवगाथा को जीवंत रखते हैं, उनके संरक्षण में लापरवाही अब सवालों के घेरे में है। विशेषज्ञों और स्थानीय नागरिकों की यह भी मांग है कि किले के समग्र संरक्षण के लिए दीर्घकालिक योजना बनाई जाए। समय रहते किले की मरम्मत, संरचना की मजबूती और तकनीकी हस्तक्षेप के ज़रिये इसे भविष्य के लिए सुरक्षित किया जा सकता है। अगर अब भी ध्यान नहीं दिया गया, तो यह धरोहर धीरे-धीरे खंडहर बन जाएगी।
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