वसई, 24 जून: मुंबई उपनगर की लोकल ट्रेनों में बढ़ती भीड़ के साथ सुरक्षा व्यवस्था पर भी भारी दबाव बनता जा रहा है, लेकिन वसई रेलवे पुलिस स्टेशन में भारी स्टाफ की कमी इस जिम्मेदारी को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। वसई रेलवे थाना, जो मीरा रोड से लेकर वैतरणा तक लगभग 31 किमी क्षेत्र में फैला है, वहां कुल 161 स्वीकृत पदों में से 56 पद खाली हैं। वर्तमान में मात्र 105 पुलिसकर्मी ही ड्यूटी पर तैनात हैं।
इस कार्यक्षेत्र में वसई, नालासोपारा, विरार, भायंदर, मीरा रोड जैसे व्यस्त स्टेशन आते हैं, जहां रोज़ाना लाखों लोग ट्रेनों से सफर करते हैं। ऐसे में गश्त, सुरक्षा और अपराध नियंत्रण की जिम्मेदारी इन पुलिसकर्मियों पर बहुत अधिक है। जब कुछ स्टाफ अवकाश या बीमारी के कारण ड्यूटी पर नहीं होता, तब स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
स्टाफ की कमी के कारण यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था, स्टेशन पर नियमित गश्त, और घटनाओं की त्वरित जांच में अक्सर देरी हो जाती है। ऐसे में रेलवे और राज्य सरकार से मांग की जा रही है कि खाली पदों को तुरंत भरा जाए ताकि स्टाफ पर दबाव कम हो और यात्रियों को सुरक्षा का भरोसा मिल सके।
• वसई रेलवे थाना के पास क्या जिम्मेदारी है?
वसई रेलवे पुलिस का कार्यक्षेत्र मीरा रोड से लेकर वैतरणा तक फैला है, जो लगभग 31 किलोमीटर लंबा है। इस रूट में कुल सात स्टेशन आते हैं। इन स्टेशनों पर यात्रियों की सुरक्षा, गश्त, अपराध नियंत्रण और ट्रेनों में होने वाली घटनाओं की जांच की जिम्मेदारी वसई रेलवे पुलिस की होती है।
• स्टाफ की कमी कितनी है?
वसई रेलवे थाने के लिए 161 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इस समय केवल 105 पुलिसकर्मी ही कार्यरत हैं। यानी 56 पद खाली हैं। इसके अलावा, जब कुछ कर्मचारी छुट्टी पर होते हैं या बीमार पड़ते हैं, तो बाकी स्टाफ पर और भी ज्यादा काम का दबाव बढ़ जाता है। यही वजह है कि कई बार रेलवे स्टेशनों पर गश्त, अपराध जांच और सुरक्षा व्यवस्था में देरी या परेशानी होती है।
• क्यों जरूरी है जनशक्ति बढ़ाना?
भीड़ बढ़ने के साथ-साथ ट्रेनों और स्टेशनों पर अपराध, दुर्घटनाएं और विवाद भी बढ़ते हैं। ऐसे में इन सभी स्थितियों को संभालने के लिए पर्याप्त पुलिस बल जरूरी है। लेकिन स्टाफ की कमी के कारण मौजूदा कर्मचारी ही अतिरिक्त ड्यूटी कर रहे हैं, जिससे उनका बोझ और बढ़ता जा रहा है।
वसई रेलवे पुलिस क्षेत्र में यात्रियों की संख्या और जिम्मेदारी के मुकाबले स्टाफ की संख्या बहुत कम है। इसलिए रेलवे और राज्य सरकार से मांग की जा रही है कि जल्द से जल्द खाली पदों को भरा जाए, ताकि यात्रियों को बेहतर सुरक्षा मिल सके और पुलिस पर काम का अतिरिक्त दबाव कम हो।