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ईडी की बड़ी कार्रवाई: वसई-विरार अवैध निर्माण घोटाले में ₹12.35 करोड़ की संपत्ति और ₹25 लाख नकद जब्त

वसई विरार में अवैध इमारतों पर ईडी की छापेमारी – नकद और संपत्ति जब्त

ईडी ने वसई-विरार अवैध निर्माण मामले में ₹12.35 करोड़ की संपत्ति और ₹25 लाख नकद जब्त किए। कई दस्तावेज फोरेंसिक जांच में।

वसई, 3 जुलाई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वसई-विरार अवैध निर्माण घोटाले की जांच के दूसरे चरण में मंगलवार को की गई छापेमारी के दौरान ₹12.1 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की है। इसमें बैंक बैलेंस, डीमैट खाते, म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट और ₹25 लाख नकद शामिल हैं। ईडी ने बताया कि इस दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, जिन्हें अब फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। छापेमारी वसई-विरार और मुंबई के पश्चिमी उपनगरों जैसे कांदिवली और जुहू में स्थित 16 स्थानों पर की गई। जिनमें प्रसिद्ध आर्किटेक्ट संजय नारंग के जुहू स्थित आवास और दफ्तर भी शामिल हैं।

ईडी की कार्रवाई का केंद्र वे आर्किटेक्ट, लायजन एजेंट और वसई-विरार नगर निगम (VVMC) के कुछ अधिकारी रहे, जो 60 एकड़ आरक्षित जमीन पर 41 अवैध इमारतों के निर्माण में शामिल थे। यह भूमि सीवेज ट्रीटमेंट और डंपिंग ग्राउंड के लिए आरक्षित थी। सूत्रों के अनुसार, कुछ आर्किटेक्ट और बिचौलिए निजी बिल्डरों और नगर निगम अधिकारियों के बीच घूस के लेन-देन में मध्यस्थ की भूमिका निभाते थे।

जांचकर्ताओं का मानना है कि कुछ आर्किटेक्ट्स ने निर्माण योजनाओं में हेरफेर कर विकास नियंत्रण विनियमों (DCR) को नजरअंदाज किया और फर्जी मंजूरियां प्राप्त कीं। उन्होंने जाली ज़ोनिंग परमिशन, नकली बिल्डिंग प्रस्ताव और बिना अनुमति फ्लैट बिक्री के दस्तावेज भी तैयार किए। ईडी का कहना है कि यह अवैध निर्माण घोटाला कई वर्षों से सरकारी तंत्र की खामियों और राजनीतिक संरक्षण के कारण पनपता रहा।

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