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वसई-विरार में गणेश विसर्जन: सातवें दिन 71% मूर्तियाँ कृत्रिम सरोवरों में, पर्यावरण संरक्षण को मिला बल

कृत्रिम सरोवर में गणेश विसर्जन
कृत्रिम सरोवर में गणेश विसर्जन

सातवें दिन गणेश-गौरी विसर्जन में वसई-विरार के 7855 में से 5615 मूर्तियाँ (71%) कृत्रिम सरोवरों में विसर्जित हुईं। महानगरपालिका की पहल और नागरिकों की जागरूकता से पर्यावरण मित्र गणेशोत्सव की दिशा में बड़ा कदम दर्ज हुआ।

वसई, 3 सितंबर: इस वर्ष वसई-विरार शहर ने गणेशोत्सव को विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित किया। वसई-विरार सिटी महानगरपालिका (VVMC) की अपील का असर साफ दिखा और सातवें दिन 71% गणेश एवं गौरी मूर्तियों का विसर्जन कृत्रिम सरोवरों में किया गया।

  • निगम की तैयारी और नागरिकों का प्रतिसाद

VVMC ने इस बार 116 कृत्रिम सरोवर तैयार किए। घाटों और दो बंद पत्थर खदानों पर ही पारंपरिक विसर्जन की अनुमति दी गई। साथ ही 18 घूमने वाले टैंकर भी उपलब्ध कराए गए। नगर आयुक्त और जनप्रतिनिधियों की अपील के बाद नागरिकों ने पर्यावरण-मित्र विसर्जन को प्राथमिकता दी।

सातवें दिन का विसर्जन: आँकड़े

  • घरेलू मूर्तियाँ: 7390

  • सार्वजनिक मूर्तियाँ: 465

  • कुल मूर्तियाँ: 7855

इनमें से 5615 मूर्तियाँ कृत्रिम सरोवरों में विसर्जित हुईं (5277 घरेलू + 338 सार्वजनिक)। वहीं 2240 मूर्तियाँ प्राकृतिक जलस्रोतों में विसर्जित हुईं (2113 घरेलू + 127 सार्वजनिक)। इस प्रकार, कुल 71% विसर्जन कृत्रिम सरोवरों में और 29% पारंपरिक जलस्रोतों में हुआ।

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  • पर्यावरण-मित्र गणेशोत्सव का महत्व

गणेशोत्सव महाराष्ट्र का प्रमुख पर्व है, लेकिन पारंपरिक विसर्जन से नदियों और समुद्रों में प्रदूषण की समस्या बढ़ती है। कृत्रिम सरोवरों का विकल्प अब प्रदूषण कम करने और प्रकृति की रक्षा करने में कारगर साबित हो रहा है।

  • नागरिकों की भूमिका

हज़ारों परिवारों ने घर की मूर्तियों का विसर्जन कृत्रिम सरोवरों में किया। सार्वजनिक मंडलों ने भी इसका अनुसरण कर समाज के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया।

वसई-विरार शहर का यह कदम साबित करता है कि यदि प्रशासन और नागरिक साथ आएँ, तो त्योहार और पर्यावरण दोनों का संतुलन बनाए रखा जा सकता है। 71% मूर्तियों का कृत्रिम सरोवरों में विसर्जन पर्यावरण-जागरूक समाज की ओर एक मजबूत कदम है।

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