वसई, 3 सितंबर: इस वर्ष वसई-विरार शहर ने गणेशोत्सव को विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित किया। वसई-विरार सिटी महानगरपालिका (VVMC) की अपील का असर साफ दिखा और सातवें दिन 71% गणेश एवं गौरी मूर्तियों का विसर्जन कृत्रिम सरोवरों में किया गया।
VVMC ने इस बार 116 कृत्रिम सरोवर तैयार किए। घाटों और दो बंद पत्थर खदानों पर ही पारंपरिक विसर्जन की अनुमति दी गई। साथ ही 18 घूमने वाले टैंकर भी उपलब्ध कराए गए। नगर आयुक्त और जनप्रतिनिधियों की अपील के बाद नागरिकों ने पर्यावरण-मित्र विसर्जन को प्राथमिकता दी।
घरेलू मूर्तियाँ: 7390
सार्वजनिक मूर्तियाँ: 465
कुल मूर्तियाँ: 7855
इनमें से 5615 मूर्तियाँ कृत्रिम सरोवरों में विसर्जित हुईं (5277 घरेलू + 338 सार्वजनिक)। वहीं 2240 मूर्तियाँ प्राकृतिक जलस्रोतों में विसर्जित हुईं (2113 घरेलू + 127 सार्वजनिक)। इस प्रकार, कुल 71% विसर्जन कृत्रिम सरोवरों में और 29% पारंपरिक जलस्रोतों में हुआ।
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गणेशोत्सव महाराष्ट्र का प्रमुख पर्व है, लेकिन पारंपरिक विसर्जन से नदियों और समुद्रों में प्रदूषण की समस्या बढ़ती है। कृत्रिम सरोवरों का विकल्प अब प्रदूषण कम करने और प्रकृति की रक्षा करने में कारगर साबित हो रहा है।
हज़ारों परिवारों ने घर की मूर्तियों का विसर्जन कृत्रिम सरोवरों में किया। सार्वजनिक मंडलों ने भी इसका अनुसरण कर समाज के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया।
वसई-विरार शहर का यह कदम साबित करता है कि यदि प्रशासन और नागरिक साथ आएँ, तो त्योहार और पर्यावरण दोनों का संतुलन बनाए रखा जा सकता है। 71% मूर्तियों का कृत्रिम सरोवरों में विसर्जन पर्यावरण-जागरूक समाज की ओर एक मजबूत कदम है।
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