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RTI खुलासा: वसई-विरार के सरकारी अस्पतालों में 600 सर्जरी, 23,000 डिलीवरी – सुविधाएं होते हुए भी गंभीर मरीज बेहाल

वसई विरार सरकारी अस्पतालों की सर्जरी रिपोर्ट
ढाई साल में सिर्फ 600 सर्जरी, सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुली

RTI रिपोर्ट के मुताबिक वसई-विरार के सरकारी अस्पतालों ढाई साल में सिर्फ 600 सर्जरी हुई है, जबकि डिलीवरी 23,000 से ज़्यादा हुई है। जिससे ये पता चलता है कि सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं होते हुए भी इलाज नहीं मिल रहा है। इन्ही लापरवाहियों के कारण लोगो को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।

वसई, 11 जुलाई 2025: वसई-विरार के नागरिकों को यह जानकर हैरानी होगी कि लाखों की आबादी वाले इस महानगर में मौजूद सरकारी अस्पतालों में ढाई साल में मात्र 600 सर्जरी ही हुई हैं। जबकि 23,000 से अधिक डिलीवरी इन्हीं अस्पतालों में दर्ज की गई हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा एक आरटीआई (RTI) रिपोर्ट से सामने आया है।

❗ सुविधाएं मौजूद, लेकिन इलाज नदारद

सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स हैं, आधुनिक मशीनें मौजूद हैं और करोड़ों की लागत से बनी बिल्डिंगें भी हैं। फिर भी ऑपरेशन थिएटर या तो बंद हैं या उनमें गंभीर मरीजों की सर्जरी नहीं की जा रही। इससे यह साफ होता है कि इन अस्पतालों का बुनियादी ढांचा होने के बावजूद उसका पूरा उपयोग नहीं हो रहा है।

🧾 मरीजों को मजबूरी में निजी अस्पतालों का सहारा

ऐसे हालात में गरीब और मध्यमवर्गीय मरीजों को सर्जरी जैसे गंभीर मामलों के लिए मजबूरी में महंगे प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ता है, जहां एक सामान्य सर्जरी का खर्च हजारों में होता है। यह स्थिति सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर विफलता को उजागर करती है।

📊 आंकड़े क्या कहते हैं?

  • सर्जरी (ढाई साल में): मात्र 600 केस

  • डिलीवरी (ढाई साल में): 23,000+

  • विवाद: डॉक्टर मौजूद, मशीनें चालू, पर ऑपरेशन नहीं हो रहे

📣 जनता के टैक्स का दुरुपयोग?

जनता के पैसों से बनी सुविधाएं सिर्फ बिल्डिंग तक सीमित हैं। सरकार की ओर से स्वास्थ्य में निवेश तो हुआ, लेकिन जनता को उसका लाभ नहीं मिल पाया। RTI में यह भी नहीं बताया गया कि क्यों सर्जरी नहीं हुई—क्या डॉक्टर नहीं थे, या थिएटर बंद थे।

🔍 ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए

अब समय आ गया है कि आम जनता इस स्वास्थ्य लापरवाही के खिलाफ सवाल उठाए। अगर वसई-विरार जैसे महानगर में ऐसा हो रहा है, तो छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में हालात की कल्पना की जा सकती है।

सरकार को इस मामले में तत्काल जांच और जवाबदेही तय करनी चाहिए। स्वास्थ्य सेवा आम जनता का अधिकार है, और उसका हनन किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं हो सकता।

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