Virar Building Collapse: विरार में अवैध इमारत गिरने से 17 लोगों की मौत, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पीड़ित परिवारों के लिए 5 लाख रुपये मुआवजा घोषित किया। राहत-बचाव कार्य जारी।
विरार, 28 अगस्त: विरार पूर्व में मंगलवार आधी रात को चार मंजिला रमाबाई अपार्टमेंट का पिछला हिस्सा अचानक ढह गया। इस दर्दनाक हादसे में अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 9 लोगों को मलबे से सुरक्षित बाहर निकाला गया है। हादसे के बाद पूरे इलाके में मातम और भय का माहौल है।
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मुख्यमंत्री की घोषणा और संवेदनाएँ
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। उन्होंने अपने आधिकारिक CMO X अकाउंट से संदेश साझा कर कहा: “सरकार पीड़ित परिवारों के साथ मजबूती से खड़ी है। हर संभव सहायता और राहत उपलब्ध कराई जाएगी।”
मुख्यमंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि राहत और बचाव कार्य तेज़ी से जारी हैं और प्रशासन पूरी तरह से सक्रिय है।
Virar Building Collapse: विरार रमाबाई अपार्टमेंट हादसा: 17 की मौत, राहत और बचाव अभियान जारी
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बचाव कार्य और एनडीआरएफ की तैनाती
हादसे के तुरंत बाद NDRF, अग्निशमन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने संयुक्त अभियान शुरू किया। भारी मशीनों से मलबा हटाने का कार्य जारी है। मौके पर मेडिकल टीम लगातार मौजूद रही, ताकि घायलों को तुरंत उपचार मिल सके।अब तक कई घायलों को विरार, नालासोपारा और वसई के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। लगातार 48 घंटे से चल रहे बचाव अभियान ने कई जिंदगियों को बचाने में अहम भूमिका निभाई है।
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अवैध निर्माण और प्रशासन की लापरवाही
अधिकारियों ने पुष्टि की कि यह इमारत 12 साल पुरानी और अवैध रूप से बनी थी। संरचनात्मक दृष्टि से कमजोर होने के बावजूद यहां सैकड़ों लोग रह रहे थे।पालघर और वसई-विरार क्षेत्र में लगातार चेतावनियों के बावजूद इस तरह की असुरक्षित इमारतें खड़ी हैं। गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार, जिनके पास सुरक्षित और सस्ते विकल्प नहीं हैं, मजबूरी में ऐसी इमारतों में रहते हैं।
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भविष्य की चुनौती और सवाल
यह हादसा फिर से यह सवाल खड़ा करता है कि अवैध और असुरक्षित इमारतों को समय रहते क्यों नहीं गिराया जाता। हालांकि मुख्यमंत्री की ओर से घोषित 5 लाख रुपये की सहायता तत्काल राहत देती है, लेकिन असली समस्या तब तक बनी रहेगी जब तक प्रशासन अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करता।विशेषज्ञों का मानना है कि मुंबई और उसके उपनगरों में जनसंख्या वृद्धि और सस्ते आवास की कमी इस संकट का सबसे बड़ा कारण है।
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