Virar Global City News : विरार के ग्लोबल सिटी में 09 अप्रैल 2024 ,मंगलवार को सुबह 11.35am के करीब सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में हुए हादसे के बाद शहर के सभी प्राइवेट प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा का मुद्दा सामने आ गया है. इस निजी सीवेज प्लांट से सुरक्षा नियमों और दिशानिर्देशों के उल्लंघन की शिकायतें थी. ग्लोबल सिटी स्थित यह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की पिछले 6 महीने से खराब होने की बात सामने आई है।
मंगलवार को विरार के ग्लोबल सिटी स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) टैंक की सफाई करने गए 4 कर्मचारियों की टैंक में जहरीली गैस के कारण दम घुटने से दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना के बाद इन सीवेज परियोजनाओं की सुरक्षा का मुद्दा एक बार फिर उठा है. नियमानुसार 20 हजार वर्ग फीट का निर्माण करने वाले डेवलपर्स के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाना अनिवार्य है। प्रोजेक्ट के निर्माण के बाद इसका रखरखाव का काम अधिकृत कंपनी द्वारा किया जाना चाहिए .रुस्तमजी बिल्डर के पास ग्लोबल सिटी, विरार पश्चिम में 3 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) हैं। हादसा रुस्तमजी स्कूल से सटे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में हुआ.
यह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट 142 इमारतों से 3.5 मिलियन लीटर अपशिष्ट जल का उपचार करती है। परियोजना में 20 फीट ऊंचाई के दो टैंक हैं। इस सीवेज प्लांट के रखरखाव का काम रुस्तमजी बिल्डर द्वारा नियुक्त पॉलीकॉन इन्व्हायरो इंजिनीअर्स प्रा.लि.(POLLUCON ENVIRO ENGINEERS PRIVATE LIMITED) को दिया गया था।
स्थानीय लोगों की शिकायतें हैं कि पिछले 6 महीने से प्रोजेक्ट में खराबी चल रही थी इसके बाबजूद सुपरवायझर महादेव तुकाराम कुपटे ने बिना किसी सावधानी और बिना किसी सुरक्षा उपकरण के लापरवाही से काम करते हुए रीसायकल टैंक के अंदर मजदूरों को चॉकअप क्लियर करने के लिए उतारा जबकि बिना किसी सुरक्षा उपकरण के मज़दूरों को ऐसे टैंक्स में उतरना उनकी जान से खेलने जैसा है. नतीजा यह हुआ कि 4 ग़रीब मजदूरों की जान चली गयी.
ग्लोबल सिटी के रहिवासियों ने लगातार दुर्गंध की शिकायत की थी लेकिन समय रहते ना तो बिल्डर,ठेकेदार और ना ही वसई विरार मनपा ने कोई उचित कदम उठाया? अब चार हृदयविदारक मौतों के बाद वसई विरार महानगरपालिका यह बता कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है कि निजी सीवेज परियोजनाओं से हमारा कोई संबंध नहीं है. लेकिन अब इसकी कड़ी आलोचना होने लगी है. हालांकि यह प्रोजेक्ट निजी है, लेकिन इस पर नियंत्रण की जिम्मेदारी महानगरपालिका की है।
मनपा को इस बात की निगरानी करनी थी कि इस सीवेज प्लांट में तय नियमों एवं दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है या नहीं। जिस प्रोजेक्ट में हादसा हुआ,वहां 6 महीने से बदबू की शिकायतें आ रही थीं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि वसई विरार महानगरपालिका ने सीवेज प्लांट से सम्बंधित सुरक्षा नियमों और दिशानिर्देशों के उल्लंघन की पहचान कर समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं की?
कंपनी के मालिक के खिलाफ अपराध
इस दुर्घटना के संबंध में,अरनाला सागरी पुलिस ने पॉलीकॉन इन्व्हायरो इंजिनीअर्स प्रा.लि.(POLLUCON ENVIRO ENGINEERS PRIVATE LIMITED) के सुपरवायझर महादेव तुकाराम कुपटे को(अपराध पंजीकरण संख्या: 158/2024),धारा 304,34 और मैनुअल स्कैवेंजर्स के लिए सेवा योजना की रोकथाम और पुनर्वास अधिनियम 2-23 की धारा 8 और 9 के तहत गिरफ्तार किया और उन्हें 2 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है.
पॉलीकॉन इन्व्हायरो इंजिनीअर्स प्राइवेट लिमिटेड(POLLUCON ENVIRO ENGINEERS PRIVATE LIMITED) के मालिक के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। हादसे के वक्त सुपरवाइजर महादेव तुकाराम कुपटे मौजूद नहीं थे.मैनुअल स्कैवेंजर्स और सीवेज प्लांट से सम्बंधित सुरक्षा नियम एवं दिशानिर्देश वास्तव में हैं क्या? अर्नाला सागरी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक विजय पाटिल ने कहा कि इसका अध्ययन किया जा रहा है और आगे की कार्रवाई की जाएगी.
बाल-बाल बचा पाँचवाँ कर्मचारी
दुर्घटना के समय परियोजना स्थल पर कुल 5 कर्मचारी थे। सुबह साढ़े दस बजे एक कर्मचारी अंदर आया और जब वह नहीं आया तो अन्य मजदूर उसे देखने के लिए एक के बाद एक अंदर उतरते गये और चारों की दम घुटने से मौत हो गयी. हादसे में मरने वाले मजदूरों की पहचान शुभम पारकर (28), अमोल घाटल (27), निखिल घाटल (24) और सागर तांडेलकर (29) के रूप में हुई है।
संयोगवश प्रोजेक्ट पर मौजूद 5वें कर्मचारी के पैर में कार्य के दौरान चोट लग गई थी जिसके कारण वह टैंक में नहीं उतर सका. जब उसके 4 साथी नहीं आए तो उसे शक हुआ और फ़ौरन उसने फायर ब्रिगेड कर्मियों को सूचना दी। अगर इस मज़दूर के पैर में चोट न लगी होती तो वह भी अंदर चला जाता और अनर्थ हो जाता।
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