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SC/ST एक्ट के तहत अपराध कब सिद्ध माना जाएगा? पढ़ें इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणियां

Allahabad High Court Comments SC/ST Act Proven: SC/ST एक्ट से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने कई टिप्पणियां की हैं। फैसला सुनाते हुए बताया कि आखिर इस एक्ट के तहत कोई अपराध कब सिद्ध माना जाएगा?

पीठ ने यह टिप्पणियां एक स्कूल के मालिक के खिलाफ चल रही SC/ST एक्ट के तहत आपराधिक कार्यवाही की सुनवाई के दौरान की है। कोर्ट ने स्कूल के मालिक के खिलाफ चल रही कार्यवाही को रद्द करते हुए कहा कि इस एक्ट के तहत किसी व्यक्ति पर तभी मुकदमा चलाया जा सकता है जब उसने किसी को जाति के आधार पर सार्वजनिक स्थान पर अपमानित किया हो।

न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने सुनाया फैसला 

दरअसल, एक स्कूल के मालिक के खिलाफ उसी स्कूल के एक स्टूडेंट के पिता ने केस किया था कि आरोपी ने उसे स्कूल में जातिसूचक गालियां दी है। स्टूडेंट के पिता के इसी केस को स्कूल के मालिक ने कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसका फैसला सुनाने हुए लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने कहा कि SC/ST समुदाय के सदस्य को उसकी जाति के नाम से बुलाना दुर्व्यवहार या अपराध नहीं है। SC/ST एक्ट के तहत अगर ऐसी घटना किसी घर के अंदर होती है जहां कोई दूसरा बाहरी व्यक्ति मौजूद नहीं है, तो ऐसे में यह अपराध नहीं माना जाएगा।

SC/ST एक्ट के तहत अपराध

पीठ ने कहा कि आरोपी मालिक ने सार्वजनिक रूप से शिकायतकर्ता के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया है। इसके अलावा शिकायतकर्ता ने अपनी याचिका में कही भी उस घटना के बारे साफ तौर पर कुछ भी नहीं बताया है। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, SC/ST एक्ट के तहत कोई अपराध तब अपराध माना जाएगा, जब समाज के कमजोर वर्ग के व्यक्ति का सार्वजनिक रूप से अपमान और उत्पीड़न किया गया हो।

क्या है शिकायतकर्ता की याचिका में? 

शिकायतकर्ता ने स्कूल के मालिक पर आरोप लगाया कि उसने उसके बेटे को 12वीं कक्षा की परीक्षा में फेल कर दिया। जब इस बारे वह स्कूल में बात करने गए तो आरोपी मालिक ने उनकी जाति का नाम लेकर उन्हें गालियां भी दी। शिकायतकर्ता का दावा है कि केस दर्ज होने के बाद आरोपी के सहयोगियों ने केस वापस लेने के लिए कहा, जिसके लिए उन्होंने 5 लाख रुपये भी ऑफर किए।

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