मुंबई: शहर की हवा गुणवत्ता (AQI ) फिर से बिगड़ती जा रही है। शनिवार को महानगर के 9 क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्तर खराब और बेहद खराब दर्ज़ किया गया।
एक्सपर्ट्स के अनुसार वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार व प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देशों को कितना अमल में लाया जा रहा है, इसका रिव्यू करना जरूरी है। नवंबर में जब मुंबई की एयर क्वॉलिटी खराब होने के बाद सरकार और बीएमसी सभी ऐक्शन मोड पर आ गए। प्रदूषण फैलाने वाले निर्माण कार्यों और कंपनियों पर कार्रवाई बीएमसी और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कार्रवाई की।
बीएमसी (BMC) ने सड़क की धुलाई शुरू कर दी गई। इसी के साथ प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए, लेकिन क्या अब भी प्रशासन वही सक्रियता दिखा रही है, जो कुछ सप्ताह पहले तक दिखा रही थी? यह सवाल इसलिए लोगों के मन उठ रहे हैं, क्योंकि मुंबई के वायु प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ने लगा है।
शुक्रवार को मुंबई की औसतन वायु गुणवत्ता 186 एक्यूआई दर्ज की गई थी, लेकिन शनिवार को हवा वायु गुणवत्ता 197 एक्यूआई तक पहुंच गई, जो कि मध्यम श्रेणी में आती है। मुंबई के अधिकतर इलाकों जैसे कुर्ला में वायु की गुणवत्ता 200 एक्यूआई के पार यानी खराब श्रेणी की दर्ज की गई। वहीं, शिवाजी नगर की एयर क्वालिटी पिछले दो दिनों से 300 एक्यूआई से अधिक दर्ज की जा रही है, जो कि बेहद खराब की श्रेणी में आती है।
पर्यावरणविद दयानंद स्टेलिन ने बताया कि दिवाली के पहले तक बीएमसी और एमपीसीबी ने प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए कई कदम उठाए थे। उनसे वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने में कुछ हद तक मदद मिली थी, लेकिन अब दोनों ही सुस्त पड़ गए हैं। हवा का स्तर फिर बिगड़ रहा है, जो मॉनिटरिंग और कार्रवाई पहले ही गई, उसे जारी रखना होगा, अन्यथा प्रदूषण फिर हावी हो जाएगा। हर वॉर्ड में निर्माण कार्य जारी है, लेकिन अब अधिकारी उतनी सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं, जितना वे पिछले कुछ हफ्तों पहले दिखा रहे थे।
मुंबई में कुछ समय पहले हवा की गुणवत्ता खराब होने के बाद कोर्ट को भी दखल देना पड़ा था। कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य का सरकारी महकमा प्रदूषण नियंत्रण में लग गया और कई गाइडलाइंस जारी की थी। इसके बाद जब प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई, तब सरकार ने इस श्रेय लिया, लेकिन हकीकत थी कि आसपास के कई इलाकों में बारिश के कारण भी थोड़ी राहत मिली।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, अब मौसम ने दोबारा करवट ली है। तापमान में गिरावट का असर हवा की गुणवत्ता पर भी पड़ रहा है। दूसरी ओर, नियमों में जो सख्ती बरती जा रही थी, हवा की गुणवत्ता बदलने के बाद उसमें भी ढील होने लगी है। अब सड़कों पर न तो वॉटर स्प्रिंकल करने वाली ज्यादा गाड़ियां दिखाई दे रही हैं और न ही सड़कों की पहले जितनी धुलाई भी हो रही है। कई इलाकों में दोबारा चिमनियों से धुआं उठने लगा है, जिसके कारण दोबारा हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है।