महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों को आगामी महीनों में पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। आंकड़ों से पता चला है कि राज्य के बांधों में 64 फीसदी जल भंडारण (Water Storage) है। सबसे बुरा हाल मराठवाडा का है, जहां बांधों में सबसे कम जल भंडारण है।
पिछले साल की तुलना में पुणे, नासिक, नागपुर और अमरावती डिविजन के बांधों में पानी का भंडारण कम होने की बात सामने आई है। औरंगाबाद डिविजन के बांधों में सबसे कम 37 फीसदी जल भंडारण है।
जानकारी के अनुसार, पिछले साल आज के दिन तक राज्य के बांधों में 85 फीसदी जल भंडारण बचा था। लेकिन इस साल 64 फीसदी पानी का भंडार बचा हुआ है। इसका मुख्य कारण पर्याप्त बारिश न होना बताया जा रहा है। इससे राज्य पर जल संकट का खतरा मंडरा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोंकण क्षेत्र के जलाशयों में सर्वाधिक पानी बचा है। कोंकण के बांधों में 79 फीसदी पानी का भंडारण बचा हुआ है। जबकि सबसे कम पानी औरंगाबाद के बांधों में बचा है। इससे मराठवाडा में पानी की समस्या गंभीर होने की आशंका है।
पुणे संभाग के बांधों में 67 फीसदी पानी का भंडारण बचा हुआ है। जबकि नासिक डिविजन के बांधों में 68 प्रतिशत पानी शेष है। अमरावती डिविजन के बांधों में 74 प्रतिशत, तो नागपुर डिविजन के बांधों में 69 फीसदी पानी रह गया है। वहीँ, कोंकण डिविजन के बांधों में 79 फीसदी जल भंडारण अभी भी है। औरंगाबाद डिविजन के बांधों में सबसे कम 37 फीसदी जल भंडार है।
जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र में इस साल कुल बारिश औसत से 13.4 फीसदी कम हुई है। महाराष्ट्र में आधिकारिक तौर पर मॉनसून 1 जून से शुरू होता है और आम तौर पर 30 सितंबर तक रहता है। इस साल राज्य के कम से कम 9 जिलों में औसत से बहुत कम बारिश हुई है। हालांकि कोंकण-गोवा बेल्ट में औसत से करीब 18 फीसदी ज्यादा बारिश हुई। मध्य महाराष्ट्र में औसत वर्षा की तुलना में लगभग 12 प्रतिशत कम बारिश हुई, जबकि मराठवाडा में 11 प्रतिशत कम बारिश दर्ज हुई। विदर्भ में औसत बारिश से 2 फीसदी कम बारिश हुई है।