मीरा रोड, 7 जुलाई: मीरा-भायंदर में भाषा के मुद्दे पर जारी तनाव के बीच 8 जुलाई को प्रस्तावित “मीरा-भायंदर मराठी मार्च” को पुलिस ने अनुमति देने से इनकार कर दिया है। पुलिस का कहना है कि इस मार्च से कानून-व्यवस्था भंग होने की आशंका है। बावजूद इसके, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने ऐलान किया है कि वह मार्च रोकने के निर्णय को नहीं मानेगी और मराठी पहचान की रक्षा के लिए निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ेगी।
हाल ही में मीरा रोड में एक मिठाई दुकान पर मराठी में संवाद को लेकर हुए विवाद के बाद मनसे कार्यकर्ताओं ने एक व्यापारी के साथ कथित मारपीट की थी। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हुई और इसके बाद मनसे के कई कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने दंगा भड़काने और हिंसा फैलाने के आरोपों में केस दर्ज किया। इसी के विरोध में व्यापारी वर्ग ने मनसे के खिलाफ प्रदर्शन किया।
मनसे नेताओं का आरोप है कि व्यापारियों का यह आंदोलन भाजपा की राजनीतिक साजिश का हिस्सा है, ताकि मराठी अस्मिता को कुचला जा सके। मनसे प्रवक्ता ने कहा, “हम मराठी भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहेंगे। 8 जुलाई को मार्च होगा चाहे प्रशासन अनुमति दे या न दे।”
ये था बवाल: मीरा-भाईंदर में व्यापारियों का दुकान बंद आंदोलन, मनसे कार्यकर्ताओं की मारपीट के विरोध में प्रदर्शन
मार्च को समर्थन देने वालों में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), मराठी एकीकरण समिति और कई स्थानीय संगठन भी शामिल हो गए हैं। इन संगठनों का मानना है कि मीरा-भायंदर में मराठी समुदाय के साथ भेदभाव हो रहा है और इस विषय को सुलझाने के लिए सरकार और पुलिस को जिम्मेदारी से कदम उठाने चाहिए।
पुलिस उपायुक्त प्रकाश गायकवाड़ ने स्पष्ट किया कि “प्रशासन शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। कोई भी संगठन यदि अनुमति के बिना मार्च करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
वर्तमान में मीरा-भायंदर एक संवेदनशील सामाजिक-राजनीतिक दौर से गुजर रहा है, जहां भाषा, पहचान और राजनीति की त्रिकोणीय लड़ाई गर्मा गई है। प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि क्षेत्र में शांति बनी रहे और लोकतांत्रिक अधिकारों का सम्मान भी बना रहे।
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